Housefull 5 (B) Movie Review, Release Date, Cast: हाउसफुल 5 की अहमियत सिर्फ दो बातों से समझ लीजिए- पहली यह कि लॉकडाउन के बाद एक बड़ी हिट का इंतजार कर रहे हैं अक्षय कुमार। दूसरी यह कि प्रोड्यूसर साजिद नाडियाडवाला भी कई सालों से फ्लॉप फिल्मों की झड़ी लगा चुके हैं। दोनों की दोस्ती पुरानी है, 90s में हुई शुरू, फिर ‘वक्त हमारा है’, ‘मुझसे शादी करोगी’, ‘हे बेबी’, ‘जान-ए-मन’ और ‘हाउसफुल’ जैसी फिल्मों को कामयाब बनाया। अब इस समय दोनों के सितारे गर्दिश में है और एक बड़ी उम्मीद है हाउसफुल 5। अब हमे कोई उम्मीद रखनी चाहिए या नहीं, यहां जानते हैं-

हाउसफुल 5 की कहानी क्या है?

यहां हम हाउसफुल 5 (B) का रिव्यू कर रहे हैं, इस फ्रैंचाइज में वैसे भी कॉमेडी का स्तर थोड़ा ‘बी’ ही रहता है तो पहले ही देखने का मन बना लिया गया था। कहानी एकदम सिंपल है- रंजीत 100 साल के हो चुके हैं, शानदार से क्रूज पर पार्टी रखी है, बॉलीवुड के बड़े सेलेब्स, वीवीआईपी सभी को बुलाया गया है। अब मेहमान आ रहे हैं और दूसरी तरफ रंजीत की हार्ट अटैक से मौत हो जाती है। उसकी वसीयत से पता चलता है सारा पैसा उसके बेटे जॉली को मिलना है जो खुद क्रूज पर आने वाला है। एक कंडीशन भी है- अगर जॉली नहीं आता तो उसकी कंपनी के सभी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में पैसा बंट जाएगा।

अब जॉली क्रूज पर आता है, पहले एक, फिर दूसरा और फिर तीसरा। पहले जॉली का नाम है जलाबुद्दीन (रितेश देशमुख), दूसरे का नाम है जल भूषण (अभिषेक बच्चन) और तीसरा है जूलियस (अक्षय कुमार)। तीनों के साथ उनकी प्रेमिकाएं भी आई हैं। अब कहानी दो तरीके से चलती है- पहली ये कि असली जॉली कौन है तो दूसरी ये कि खूनी कौन है। खूनी वाला प्लॉट फिल्म देख ही समझा जाए तो बेहतर, यहां लिखने पर वो स्पॉइलर बन जाएगा। अब कहानी तो पूरी 2 घंटे 45 मिनट की है तो सवालों के जवाब तो मिलेंगे, लेकिन कुर्सी की पेटी काफी देर तक बांधकर रखनी पड़ेगी।

‘Comedy Of Errors’ के सहारे बैठी हाउसफुल

हाउसफुल फ्रैंचाइज की पांचवीं किश्त को नए डायरेक्टर मिले हैं- तरुण मनसुखानी। लोग इन्हें दोस्ताना फिल्म से जानते हैं, उस हिट फिल्म को इन्होंने ही डायरेक्ट किया था। अब हाउसफुल के पांचवें पार्ट की जिम्मेदारी भी इन्हें मिली है। कहा जा सकता है कि तरुण ने हाउसफुल फिल्मों के कलेवर को तो सही तरीके से समझा है। एक बार फिर ढेर सारा कन्फ्यूजन देखने को मिलने वाला है, इसे आप टेक्निकल भाषा में ‘Comedy Of Errors’ भी कह सकते हैं। कौन जॉली है, कौन किसकी पत्नी है, फिल्म में सबकुछ हो रहा है, जानबूझकर ढेर सारा कन्फ्यूजन पैदा किया गया है। साफ कर दें- अगर पिछले पार्ट्स में ये कन्फ्यूजन आपको हंसा पाया था तो इस बार भी हंसा देगा।

हाउसफुल 5 का ट्रेलर यहां देखें-

पहला हाफ कैसा कहा जाए?

फिल्म का पहला हाफ ज्यादा मजेदार लगने वाला है, शुरुआत जरूर थोड़ी स्लो होती है, लेकिन जैसे ही मेन स्टार कास्ट की एंट्री होती है, कहानी अपनी पेस पकड़ती है और एक के बाद एक कई कॉमिकल सीन्स स्क्रीन पर आने लगते हैं। लेकिन हम इसे थोड़ी ‘बी’ ग्रेड कॉमेडी भी कहना चाहेंगे क्योंकि जो जोक्स क्रैक हुए हैं, वो महिलाओं के कपड़ों पर हैं, उनकी छोटी स्कर्ट पर हैं। दूसरे शब्दों में बोलें तो मेकर्स ने ‘Sexist Jokes’ का पूरा फायदा उठाया है। पहले लग रहा था कि इतनी सारी अभिनेत्रियों को एक ही फिल्म में कैसे जगह मिल गई, देखने के बाद कहा जा सकता है कि ऐसा क्यों किया गया।

लेकिन हाउसफुल के जो लॉयल फैन्स हैं, उनको इस तरह की कॉमेडी से आपत्ति नहीं होने वाली है क्योंकि ये फ्रैंचाइज ऐसे ही मनोरंजन को कई सालों से परोस रही है, लेकिन जो ‘किंतु-परंतु’ वाली ऑडियंस है, वो सावधान हो जाए क्योंकि ये फिल्म उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचा देगी। इन जोक्स को बर्दाश्त करने के लिए भी अलग टैलेंट चाहिए। खैर फिल्म इंटरवल से पहले एक हाई नोट पर एंड होती है, सेकेंड हाफ के लिए एक्साइटमेंट भी बढ़ता है।

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सेकेंड हाफ कैसा रहा है?

लेकिन वही एक्साइटमेंट धीरे-धीरे निराशा में बदलना शुरू होता है। सेकेंड हाफ में कहानी अपनी पेस खो देती है, फिल्म कॉमेडी वाली है, लेकिन अचानक से फोकस मर्डर मिस्ट्री पर ज्यादा शिफ्ट कर जाता है। फिल्म खुद को थ्रिलर दिखाने की कोशिश करती है। इसके ऊपर सेकेंड हाफ में फिल्म की लेंथ काफी खिची भी दिखती है, साफ पता चला है कि एडिटिंग टेबल पर ठीक टाइम पर कट नहीं लगाए गए। क्लाइमेक्स आते-आते फिल्म के सामने बड़ा चैलेंज आता है- पूरी स्टारकास्ट को साथ कैसे लाया जाए। मेकर्स ने इसके लिए दो काम किए- पहला स्लैपस्टिक कॉमेडी का इस्तेमाल यानी कि ऊटपटांग हरकतें कर हंसाने की कोशिश और दूसरा रहा 22 साल पुराना हंगामा फिल्म वाला फॉर्मूला।

हंगामा फिल्म देखी है? वैसा ही हाउसफुल का क्लाइमेक्स

प्रियदर्शन की हंगामा का क्लाइमेक्स याद कर लीजिए, वहां भी एक लंबी-चौड़ी स्टारकास्ट थी और क्लाइमेक्स में सभी को साथ लाया गया था, कोई दीवार पर चिपक रहा था, एक के बाद एक सभी को बिजली के झटके लग रहे थे। अब इस फॉर्मूले में डायलॉग्स की स्कोप कम हो जाती है और सिचुएशन से कॉमेडी जनरेट होती है। हाउसफुल 5 ने इस फॉर्मूले को अपनाया जरूर है, लेकिन सक्सेस उतनी नहीं मिली। बेवकूफी यहां भी दिखी है, लेकिन ‘रावण वाली हंसी’ नहीं आएगी।

अक्षय लगे एक नंबर, रितेश भी मजेदार; बाकियों का कैसा?

अब कहानी से शिकायत है, पेस से थोड़ी शिकायत है, लेकिन स्टारकास्ट का काम अच्छा लगा है। अक्षय कुमार को हम कॉमेडी किंग कहते हैं, उन्होंने इसे फिर साबित किया है। उनकी झोली में एक बार फिर कुछ बेहतरीन वन लाइनर्स आए हैं, इसका छोटा डेमो ट्रेलर में दिखा था, फिल्म में पूरा कॉम्बो दिख जाएगा। कहा जा सकता है कि अक्षय फिर अपने फैन्स को कई सारे मीम्स की सौगात देने वाले हैं। रितेश देशमुख का जॉली किरदार भी मजेदार है। वो कहता कुछ है, मतलब कुछ और होता है। ये कन्फ्यूजन दर्शकों को गुदगुदाएगा, इसके ऊपर अक्षय कुमार के साथ उनकी केमिस्ट्री दमदार लगी है। दोनों की टाइमिंग एक नंबर है।

हाउसफुल (A) का रिव्यू यहां पढ़ें

अभिषेक बच्चन जरूर अक्षय और रितेश के सामने थोड़े फीके लगे हैं, कहा जा सकता है कि उन्हें ज्यादा वैसे डायलॉग्स भी दिए नहीं गए। फिल्म में ग्लैमर का तड़का लगाने के लिए जैकलीन, सोनम और नरगिस को रखा गया था, वो काम तीनों ने ही बेहतरीन तरीके से किया है। कुछ सीन्स में जिस तरह से उनकी बॉडी को जानबूझकर हाईलाइट किया गया, वहां थोड़ा अजीब लगता है, गुस्सा भी आता है। लेकिन फिर आंखे खुलती हैं और याद आता है- ये बॉलीवुड है और हम हाउसफुल देख रहे हैं। फिल्म में पुलिस वाले के रोल में संजय दत्त और जैकी श्रॉफ को रखा गया है, खलनायक फिल्म का ही सस्ता वर्जन यहां पेश किया गया है। दोनों साथ में मजेदार लगे हैं, कुछ सीन्स में हंसाने में भी कामयाब हुए हैं।

बाकी स्टारकास्ट में तो जॉनी लीवर, फरदीन खान, डीनो मोरिया, चित्रांगदा, सौंदर्य शर्मा, नाना पाटेकर को भी रखा गया है। लेकिन लाइमलाइट लूटने का काम जॉनी लीवर और नाना पाटेकर ने किया है। बाकी किसी कलाकार को ज्यादा कुछ करने को मिला नहीं।

दोस्ताना वाले डायरेक्टर का कैसा काम?

तरुण मनसुखिया के निर्देशन की बात करें तो उन्हें इस बात का क्रेडिट दिया जाना चाहिए कि उन्होंने एक रिस्क लिया।कॉमेडी फिल्म में उन्होंने थ्रिलर का तड़का लगाया है। अब यहां हम तारीफ उनके एक्सपेरिमेंट की कर रहे हैं, ये नहीं कहा जा सकता कि वे इसमें पूरी तरह सफल भी रहे हैं। पिछली हाउसफुल फिल्म्स के मुकाबले यहां कॉमेडी कुछ कम रही है। इसके ऊपर डायरेक्टर नए आए हैं, लेकिन कॉमेडी वही पुराने टाइप की परोसी गई है, कुछ जगह तो फिल्म के पिछले पार्ट्स का रिपीटेशन भी है, ऐसे में यहां डायरेक्टर के नंबर कटेंगे।

हाउसफुल 5 देखने जाएं या नहीं?

हाउसफुल की पिछली फिल्मों की तरह यहां गाने दमदार रहे हैं, ‘लाल परी’ तो पहले ही चार्टबस्टर बन चुका है। ऐसे में मेकर्स ने कम से कम लोगों को पार्टी के लिए कुछ और गाने जरूर दे दिए हैं। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी बढ़िया कही जाएगी, जिस तरह क्रूज पर शूटिंग हुई है, साफ पता चला है कि पैसा काफी खर्च किया गया। तो एंड में जो हमारी हैडिंग, वही सार भी है- ‘बी’ ग्रेड कॉमेडी कुछ को हंसा सकती है, किंतु-परंतु वाली ऑडियंस दूर ही रहे तो बेहतर।