ओम राउत की डायरेक्टेड फिल्म ‘आदिपुरुष’ को रिलीज हुए 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन फिल्म को लेकर चल रहा विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस फिल्म को लेकर पहले तो एक्टर, राजनेता और आम जनता ही बयान दे रही थी।

और फिल्म के मेकर्स और कास्ट को फटकार लगा रही थी। लेकिन अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने भी फिल्म को लेकर टिप्पणी है। साथ ही फटकार भी लगाई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने बुधवार को फिल्म आदिपुरुष के आपत्तिजनक डायलॉग के मामले में लगातार तीसरे दिन सुनवाई की।

कोर्ट ने कहा है कि ऐसी फिल्म को सेंसर बोर्ड ने पास कैसे कर दिया। फिल्म को पास कर देना एक ब्लंडर है। फिल्म मेकर्स को तो सिर्फ पैसे कमाने हैं क्योंकि पिक्चर हिट हो जाती है। हाई कोर्ट ने फिल्म पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि भगवान राम, भगवान हनुमान और माता सीता को मानने वाले लोग इस फिल्म को देख नहीं पाएंगे। कोर्ट ने साफ कहा कि फिल्म प्रोड्यूसर को हाजिर होना पड़ेगा।

कोर्ट ने क्या कहा

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह की बेंच ने शख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बैक टू बैक चल रहा है, कुछ न कुछ कर रहे हैं, प्रोड्यूसर को बुलाना ही पड़ेगा। कोर्ट ने डिप्टी एसजीआई से पूछा कि जिन सीन पर विवाद है.. क्या वो फिल्म का हिस्सा हैं या नहीं? ये मसला बहुत सेंसटिव है, मैं जानना चाहता हूं कि डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (Dy. SGI) का इस पर क्या कहना है। SJI ने कहा कि फिल्म को सर्टिफिकेट भारत सरकार द्वारा नामित 5 सदस्यों की टीम ने दिया था। कुल 25 सदस्यों ने फिल्म देखी भी थी। कोर्ट ने कहा एसजीआई से कहा कि हमने फिल्म तो नहीं देखी, लेकिन जिन लोगों ने फिल्म देखी, उनका कहना है कि ये फिल्म हमारी सोच से भी ज्यादा घटिया है। मसला ये है कि रामायण के किरदारों को फिल्म में ऐसा क्यों दिखाया गया है?

राम-सीता को मानने वाले फिल्म नहीं देख पाएंगे

कोर्ट ने आगे कहा कि क्या सेंसर बोर्ड जो सर्टिफिटेट इश्यू करता है, उसे रद्द नहीं किया जा सकता? फिल्म 16 जून को रिलीज हुई, तो अब तक कुछ नहीं हुआ तो 3 दिन में क्या होगा। जो होना था वो हो चुका, और ये अच्छा है कि कुछ नहीं हुआ। मैंने कुछ लोगों से पूछा, वे फिल्म देखने के बाद काफी ज्यादा आहत थे। अगर आज हम चुप हो गए तो पता है क्या होगा। ये सब बढ़ रहा है। कोर्ट ने आगे कहा कि एक मूवी में मैंने देखा कि भगवान शंकर जी त्रिशूल लेकर भाग रहे हैं। फनी तरीके से…अब यही सब होगा? बेंच ने कहा कि भगवान राम, भगवान हनुमान और माता सीता को मानने वाले लोग इस फिल्म को देख नहीं पाएंगे, आप कह रहे हैं कि संस्कार वाले लोगों (सेंसर बोर्ड) ने इस मूवी को सर्टिफाई किया है, जहां रामायण के बारे में ऐसा दिखाया गया है तो वो लोग धन्य हैं, हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जो एक्ट के बाहर हो।

कोर्ट किसी धर्म को नहीं मानता

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस याचिका में जिन भावनाओं की बात की गई है, हम भी मानते हैं कि उनकी भावनाएं आहत हुई हैं, प्रोड्यूसर को यह कंटेंट मिला कहां से? कोर्ट ने आगे कहा कि अगर आप कुरान पर एक छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बनाकर देखिए, जिसमें गलत चीजों को दर्शाया गया हो तो आपको पता चल जाएगा कि क्या हो सकता है। आपको कुरान, बाइबिल को भी नहीं छूना चाहिए। मैं ये क्लियर कर दूं कि किसी एक धर्म को भी टच न करिए। आप किसी धर्म के बारे में गलत तरह से मत दिखाएं। कोर्ट किसी धर्म को नहीं मानता। कोर्ट सभी लोगों की भावनाओं की कद्र करता है।