Govinda Naam Mera movie review: विक्की कौशल और कियारा आडवाणी की फ्रेश जोड़ी देखने के लिए फैंस उत्साहित थे आखिरकार ‘गोविंदा मेरा नाम’ फिल्म रिलीज हो गई है। धर्मा प्रोडक्शन की यह फिल्म कैसी है और क्या यह फिल्म हमें देखनी चाहिए? इन सभी सवालों के जवाब हम आपको देंगे।

कहा गया था कि ‘गोविंदा नाम मेरा’ एक क़ॉमेडी है लेकिन उसके अलावा ये हत्या कथा यानी मर्डर मिस्ट्री भी है। जहां तक कॉमेडी तक का मामला है वहां तक तो ये फिल्म ठीक है, यानी शुरूआती लम्हों हंसाती और गुदगुदाती है लेकिन जैसे ही हत्या वाला पहलू शुरू हो जाता है वैसे ही, थोड़ी देर के बाद अपनी पकड़ खोने लगती है। और अंत तक पहुंचते पहुंचते इतनी लचर  हो जाती है कि आप इसके लेखक और निर्देशक को कोसने लगते हैं। 

क्या है कहानी?

फिल्म में गोविंद बाघमारे (विक्की कौशल)  नाम  का एक छोटा मोटा डांसर है जो अपने को कोरियोग्राफर कहता है। उसकी अपनी पत्नी गौरी (भूमि पेडनेकर) से नहीं पटती। इसका अफेयर सुक्कु (कियारा आडवाणी) से चल रहा है जो खुद भी डांसर है और फिल्मी दुनिया में नाम कमाना चाहती है। हालात कुछ ऐसे बनते हैं गौरी का कत्ल हो जाता है और गोविंदा और सुक्कु मिलकर उसकी लाश को छुपाते हैं। पर इस कारण दूसरे लफ़ड़े शुरू हो जाते हैं। उधर गोविंदा मुंबई के जिस बंगले में रहता है उसकी मिल्कियत को लेकर मुकदमा चल रहा है। फिल्म आगे इसी मुकदमे और उस सिलसिले में होने वाले दांव पेच के सहारे आगे बढ़ती है। पर अदालती दृश्य इतने कमजोर हैं और वहां जो दलील दी जा रही है उसमें इतनी बेतुकी और अतार्किक है कि फिल्म अपने ही बनाए जाल में उलझ जाती है। जिस जमाने में कानून ने किसी व्यक्ति की दूसरी औरत, भले हो नाजायज पत्नी, को भी कानूनी हक दे दिया है उस जमाने में  पहली पत्नी के संपत्ति पर पूरे अधिकार वाली  बात निर्देशक की नादानी और कानूनी नासमझी ही दिखाती है।

विक्की, कियारा और भूमि की एक्टिंग

विक्की कौशल का काम बहुत ही दमदार है  लेकिन भूमि और कियारा बहुत कमजोर हैं। वैसे भी भूमि को कुछ समय बाद लाश बना दिया गया है तो वो क्या अभिनय करती? और नायिका से खलनायिका बना दी गई कियारा को शायद अंत तक ये पता नहीं चला कि उनको नकारात्मक किरदार किस तरह निभाना है। हालांकि फिल्म के गाने अच्छे हैं और शरारती भी। विदुषी तिवारी का सिनेमेटोग्राफी बहुत अच्छी है। फिल्म मुख्य रूप से निर्देशन में मार खा गई।

देखें या नहीं?

कमजोर पटकथा और खराब डायलॉग्स की वजह से फिल्म हमें इम्प्रेस करने में नाकामयाब होती है। ओवरऑल यह फिल्म ऐसी है कि आप न भी देखें तो आप जीवन से कुछ मिस नहीं करेंगे।