जयनारायण प्रसाद

हिदी सिनेमा को समृद्ध बनाने में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर का योगदान अनुपम है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि रवींद्रनाथ टैगोर की असली धुनों (ट्यून) पर हिंदी में अनेक बेहतरीन फिल्में बनी हैं। इन फिल्मों में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विजेता संगीतकार पंकज मल्लिक की डॉक्टर (1941), नर्गिस की दीदार (1951), देवानंद की जलजला(1952), लेखराज की मां बेटा (1962) से लेकर अमिताभ और जया बच्चन की अमिमान( 1973) तक शामिल हैं। इसी कतार में फिल्म सुजाता(1959), शर्मिली ( 1971), आपकी कसम और परिणीता तक हैं, जिनके गीतों के ट्यून रवींद्रनाथ टैगोर के तैयार किए हुए हैं।

अभी रवींद्रनाथ टैगोर की 159वीं जयंती चल रही है। वे 7 मई, 1861 को पैदा हुए और गुजरे 7 अगस्त,1941 में। रवींद्रनाथ टैगोर ने कुल 2,223 गीतों की रचना की और 1,721 गीतों के म्यूजिकल नोटेशन बनाए। म्यूजिकल नोटेशन को ही ‘धुन’ कहते हैं। टैगोर के ज्यादातर गीत पूजा, प्रेम, प्रकृति आदि पर केंद्रित हंै।

रवींद्रनाथ टैगोर की बनाई धुन पर हिंदी में वर्ष 1941 में पहली फिल्म बनी थी डॉक्टर। फिल्म का निर्देशन सुबोध मितेर और फणि मजुमदार ने किया था। पंकज मल्लिक और अहिंद्र चौधरी मुख्य किरदार थे। इसमें संगीत पंकज मल्लिक का था। गीतों की धुन रवींद्रनाथ टैगोर की बनाई हुई थी। 1947 में बनी दो भाई के गीतों की धुन भी टैगोर निर्मित थी। इस फिल्म के निर्देशक थे मुंशी दिल और संगीतकार थे एसडी बर्मन। मेरा सुंदर सपना बीत गया इसी फिल्म का गीत है।

फिर आई चेतन आनंद की अफसर ( 1950)। देवानंद और सुरैया अभिनीत इस फिल्म के संगीतकार थे एसडी बर्मन। नवकेतन के बैनर तले बनी यह फिल्म रूसी साहित्यकार निकोलाई गोगोल की रचना द गवर्नमेंट इंस्पेक्टर पर आधारित थी। इसी तरह, 1951 में बनी थी फिल्म दीदार। नीतिन बोस इसके निर्देशक थे और अशोक कुमार, दिलीप कुमार, नर्गिस,? निम्मी इसके मुख्य किरदार थे। 130 मिनट की इस फिल्म का रिमेक थी दो बदन, जो 1966 में रिलीज हुई। तब राज खोसला की इस फिल्म में मनोज कुमार और आशा पारेख ने भूमिका निभाई थी। 1953 में आई हमदर्द। अनिल विश्वास इसके निर्देशक थे। इस फिल्म का एक गीत मेरे मन की धड़कन रवींद्र संगीत पर आधारित था। गीत प्रेम धवन का था। अनिल विश्वास बांग्लादेश में बोरिसाल इलाके के थे और 1935 से 1965 तक बॉलीवुड में उन्हीं की चलती थी।

ऐसी ही एक उम्दा फिल्म थी चेतन आनंद की टैक्सी ड्राइवर, जो 7 नवंबर, 1954 को रिलीज हुई थी। इसके भी गीत टैगोर की बनाई धुन पर थे। साहिर लुधियानवी के लिखे गीतों को सचिन देव बर्मन ने स्वरबद्ध किया था। इस फिल्म में तलत महमूद का गाया एक गीत जाएं तो जाएं कहां तो अब भी सुना जाता है।

वर्ष 1971 में आई शर्मिली भी टैगोर की धुन पर थी। समीर गांगुली इसके निर्देशक और सचिन देव बर्मन के संगीत से सजी इस फिल्म का गीत खिलते हैं गुल यहां’ सबसे प्यारा है। नीरज के लिखे गीत थे। इस फिल्म का और गीत मेघा छाए भी लोकप्रिय है। फिर, 1973 में आई अभिमान। गीत मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे थे। इस फिल्म के भी गीत रवींद्रनाथ टैगोर की धुन पर थे।

वर्ष 1974 में आई आपकी कसम। इस फिल्म का एक प्यारा गीत है जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मकां, जो आनंद बख्शी ने लिखे थे। इस फिल्म के गीतों को मधुर बनाने में रवींद्र संगीत का अनुपम योगदान है। आरडी बर्मन ने गीतों को स्वरबद्ध किया था। इसके बाद ऋषिकेश मुखर्जी की जुर्माना (1979), बासु चटर्जी की शौकीन (1982), पार्थो घोष की युगपुरुष (1988), बिधु विनोद चोपड़ा की 1942 ए लव स्टोरी (1994) और निर्देशक प्रदीप सरकार की परिणीता (2005) भी वो फिल्में हैं, जिनकी धुनें रवींद्रनाथ टैगोर की बनाई धुन पर आधारित है। वर्ष 1962 में बनी लेखराज की फिल्म मां बेटा की भी धुन रवींद्र संगीत पर आधारित थी।

लेकिन, सबसे ज्यादा कारोबार परिणीता(2005) ने किया। शांतनु मोइत्रा के संगीत वाली इस फिल्म का बजट था 170 मिलियन और बॉक्स ऑफिस पर इसने बटोरे 321 मिलियन। इस फिल्म का गीत है पीयू बोले, पिया बोले, जो रवींद्र संगीत ही है।