निर्देशक- हेमंत मधुकर।
कलाकार-वीना मलिक, करणवीर वोहरा, विजय भाटिया, वेदिता प्रताप सिंह, अपर्णा वाजपेयी, जॉय डेब्राय।
चार दोस्त हैं-आशिका (वेदिता प्रताप सिंह), प्रेम (करणवीर वोहरा), विवेक (विजय भाटिया) और जैक (जॉय डेब्राय)। चारों नए साल का जश्न मनाने निकले हैं और मुंबई-पुणे रोड पर इनके साथ अजीब वाकये होने लगते हैं। एक घायल व्यक्ति उनके कार के सामने आ जाता है। फिर एक-एक कर तीन दोस्त मर जाते हैं। आखिर में सिर्फ आशिका बच जाती है। वह तय करती है कि मामले की तह तक जाएगी। मालूम होता है कि इस समस्या के पीछे एक भूतनी है। यह भूतनी एक भटकती हुई आत्मा है और इसे फ्लैशबैक के सहारे दिखाया गया है।
भूतनी की भूमिका वीना मलिक ने निभाई है। यह फिल्म 3-डी में बनी है। 3-डी में क्यों बनी है इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं है क्योंकि उससे इसकी गुणवत्ता पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। वैसे तो यह हॉरर विधा की फिल्म है लेकिन जितना डराती है उससे अधिक पकाती है। आखिर में दर्शक इतना पक जाता है कि उसे लगता है कि चलो किसी तरह पीछा तो छूटा। यह फिल्म वीना मलिक के कंधों पर टिकी हुई है और इसमें संदेह नहीं कि इस बोझ से उनके कंधे दर्द कर रहे होंगे। फिर भी, वीना इस बात से तो संतुष्ट होंगी कि बॉलीवुड में कुछ और न सही तो उनका कुछ और न सही भूतनी का कॅरियर तो स्थापित हो गया। बाकी के कलाकारों को भी कुछ न कुछ फायदा हो ही गया होगा। मगर फिल्म के निर्माता को क्या मिला? इसके बारे में शोध करना पड़ेगा।