केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन को 6 महीने से अधिक समय हो गया है। किसान कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं वहीं केंद्र सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। कोरोना महामारी के दौरान भी आंदोलन खत्म करने के दबाव के बीच यह आंदोलन जारी रहा है। किसान आंदोलन के अग्रणी नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत आंदोलन के दौरान लगातार सक्रिय रहे हैं और केंद्र सरकार पर हमले करते रहे हैं।
अब उन्होंने कहा है कि जिस तरीके से देश में दवाओं की कालाबाजारी होती है इस तरह अनाज की कालाबाजारी किसान नहीं देंगे। राकेश टिकैत ने यह भी कहा कि किसान एक ही शर्त पर आंदोलन खत्म करेंगे। टिकैत ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक के बाद एक ट्वीट्स पर केंद्र सरकार पर हमला बोला है।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘इस आंदोलन में पूरे देश का किसान एकजुट है। दवाओं की तरह अनाज की नहीं होने देंगे कालाबाजारी।’
इस आंदोलन में पूरे देश का किसान एकजुट हैं, दवाओं की तरह अनाज की नहीं होने देंगे कालाबाज़ारी .।#FarmersProtest
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) May 30, 2021
राकेश टिकैत ने एक और ट्वीट में लिखा, ‘किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़ने वाला नहीं है, किसान एक ही शर्त पर लौट सकता है- तीनों कानून रद्द कर दो और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानून बना दो।’
किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़ने वाला नहीं है, किसान एक ही शर्त पर लौट सकता है, तीनों कानून रद्द कर दो और एमएसपी पर कानून बना दो..।
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) May 30, 2021
राकेश टिकैत के ट्वीट्स पर ट्विटर यूजर्स की भी खूब प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। राजकुमार मिश्र नाम से एक यूजर ने लिखा, ‘दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन चल रहा है, अब 6 महीने से भी ज्यादा हो गया लेकिन 56 इंच की छाती और 6 इंच की दाढ़ी वाले बाबा को किसानों से नहीं बल्कि पूंजीपतियों से प्रेम है।’
माथुर नाम से एक यूजर ने लिखा, ‘आम जनता किसानों के साथ है। जब तक कृषि कानून वापस नहीं हो जाते, हम साथ हैं। सरकार की अन्नदाता का सम्मान करना पड़ेगा।’ वहीं कृष्ण कांत मिश्र नाम से एक यूजर ने किसान आंदोलन की आलोचना करते हुए लिखा, ‘किसान इस आंदोलन में नहीं दिख रहा है, आंदोलन में केवल हवाखोरी दिख रही है।’
आपको बता दें कि राकेश टिकैत ने कुछ दिनों पहले कोरोना काल में चल रहे किसान आंदोलन को सही ठहराया था। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था कि अगर कोरोना काल में कानून बन सकते हैं तो रद्द क्यों नहीं हो सकते।’