कंगना की भविष्यवाणी

कंगना रनौत का कहना है कि आज से संजय लीला भंसाली की जो ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ रिलीज होने जा रही है वह बाक्स आफिस पर टें बोल जाएगी। मतलब लोग उसे देखने नहीं आएंगे और इसका कारण आलिया भट्ट होंगी। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर उन्होंने जो लिखा है उसका मतलब यह है कि इस शुक्रवार को बाक्स आफिस पर 200 करोड़ रुपए फुंकने जा रहे हैं पापा की परी पर, जिसके पापा को लगता है कि वह अभिनय कर सकती है। फिल्म की सबसे बड़ी खामी यह है कि इसके लिए गलत कलाकार का चुनाव किया गया है। इसे कहते हैं एक तीर से तीन शिकार करना। संजय लीला भंसाली निपट गए कि उन्हें तो कलाकारों का चुनाव करना तक नहीं आता। महेश भट्ट निपट गए कि वे नेपोटिज्म यानी भाई भतीजवाद के चलत आलिया भट्ट को अच्छी अभिनेत्री समझते हैं। और आलिया भट्ट को भी झटका दे दिया कि उनकी 200 करोड़ लागत की ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ बाक्स आफिस पर टें बोलने जा रही है।

प्रभास के मुंह से बोलेंगे बच्चन

बाहुबली से मशहूर हुए प्रभास की फिल्म ‘राधेश्याम का इंतजार जनवरी से ही किया जा रहा है। 14 जनवरी को रिलीज होने वाली ‘राधेश्याम’ अब 11 मार्च को रिलीज की जाएगी। 350 करोड़ लागत से बनी यह फिल्म दर्शकों को इटली और जार्जिया की सैर करवाएगी, जो तेलुगु के साथ साथ हिंदी में भी बनाई गई है। मगर प्रभास तो तेलुगु स्टार हैं और हिंदी में उनका हाथ तंग है इसलिए उनके संवादों की डबिंग करवाई गई है। जिस तरह हालिया रिलीज ‘पुष्पा’ में अलु अर्जुन के संवाद श्रेयस तलपदे ने हिंदी में डब किए, उसी तरह से ‘राधेश्याम’ में प्रभास के संवाद कोई और नहीं अमिताभ बच्चन ने डब किए हैं। सोचिए ‘बाहुबली’ से मशहूर हुआ यह अभिनेता परदे पर जब मुंह खोलेगा तो लोगों को एक चिरपरिचित आवाज सुनाई देगी। और अमिताभ बच्चन की आवाज में कितना आकर्षण है यह बताने की जरूरत नहीं। जाहिर है इसका फायदा प्रभास को ‘राधेश्याम’ में मिलेगा। फिल्म में प्रभास की हीरोइन पूजा हेगड़े हैं।

मिठुन का दर्द

बालीवुड चकाचौंध की दुनिया है। इस दुनिया में जो शिखर पर पहुंचता है, वह खुद को वहां अकेला पाता है। ऐसे कई किस्से हैं जिनसे यह बात सामने आती है कि चोटी पर पहुंच कर फिल्म स्टार किस तरह आम जिंदगी से कट जाते हैं और उन्हें लोकप्रियता की कीमत चुकानी पड़ती है। शाहरुख खान जैसे सितारे भी कह चुके हैं कि उनका सबसे बुरा सपना यह है कि एक दिन कोई उन्हें पहचानेगा भी नहीं। मिठुन 80 और 90 के दशक के सबसे व्यस्त सितारे थे और कई सालों तक उनकी औसतन हर महीने एक फिल्म रिलीज होती थी। मिठुन का कहना है कि सबसे व्यस्त सितारा बनने के बाद वह खुद को अकेला महसूस करते थे। उनके आसपास के लोग उनसे एक एक करके दूर होते चले गए। वे रोज सुबह शूटिंग के लिए निकलते थे। रात को घर लौटते थे तो खुद को अकेला पाते थे। हालांकि यह ज्यादातर व्यस्त फिल्म कलाकारों के साथ होता आया है और मिठुन भी इसे अपने प्रोफेशन का एक हिस्सा मानते हैं।