बॉलीवुड एक्ट्रेस दिव्या दत्ता लीड और सपोर्टिंग रोल के लिए जानी जाती हैं, हालांकि एक्ट्रेस ने खुद को सपोर्टिंग एक्ट्रेस के तौर पर लेबल किए जाने के खिलाफ अपने स्ट्रगल का खुलासा किया है। दिव्या दत्ता ने कहा कि उन्होंने हमेशा इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी है और लोगों से सिर्फ एक एक्ट्रेस के तौर पर पहचानने का आग्रह किया है।

दिव्या दत्ता ने फिल्म ‘वीर-ज़ारा’ में प्रीति जिंटा की दोस्त की भूमिका निभाने के अपने फैसले के बारे में एक किस्सा शेयर किया है। दिव्या ने कहा कि उनकी माँ ने उस रोल को चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वो ये रोल नहीं करना चाहती थीं तब उनकी मां ने याद दिलाया कि इंडस्ट्री में उनका कोई गॉडफादर नहीं है।

एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में दिव्या दत्ता ने उस समय को याद किया जब वह पहली बार यश चोपड़ा से मिली थीं। उन्होंने कहा, “आदित्य चोपड़ा बैठे थे और यश अंकल भी बैठे थे, उन्होंने मुझे बताया कि फिल्म में शाहरुख खान, रानी मुखर्जी, प्रीति जिंटा, अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी हैं। तो मैंने सोचा, ‘मैं फिल्म में क्या कर रही हूं?’ उन्होंने मुझसे कहा कि तुम दोस्त का रोल कर रही हो।’ एक्ट्रेस ने कहा कि वह उन्हें दी जाने वाली भूमिका को लेकर संशय में थीं।

दिव्या दत्ता ने कहा, “मेरी मां ने मुझसे कहा ‘सुनो, क्या तुम्हारा कोई गॉडफादर है’ मैंने कहा नहीं, तो उन्होंने कहा, ‘क्या तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे लिए कुछ बनाने जा रही हूं?’ मैंने कहा नहीं, तो उन्होंने कहा , ‘फिर आगे बढ़ो, एक ऐसी भूमिका लो जो इतनी सुंदर हो, इसे अपना बनाओ, इसे इतने अच्छे से करो कि लोग तुम्हारे लिए भूमिकाएं लिखें।’ और इसलिए, मेरे लिए वीर जारा के साथ ऐसा हुआ। वास्तव में, आदित्य ने मुझसे कहा था, ‘अगर यह कोई और भूमिका होती, तो मैं तुम्हें नहीं बुलाता।’ तो मुझ पर विश्वास करो, जिस तरह से उन्होंने कहा वह मेरे साथ रहा।’

दिव्या ने आगे कहा, “मैंने हमेशा वह लड़ाई लड़ी है, जिसकी वजह से मुझे लगता है कि मैं एक सपोर्टिंग एक्टर नहीं एक एक्टर हूं। आज, मैं बहुत सारी लीडिंग रोल निभा रही हूँ, बहुत अजीब बात है, मैं विपरीत तरीके से काम कर रही हूँ। कहीं न कहीं वह एक्स फैक्टर चीज जो मैंने अपनी मां से सीखी थी, मुझे लगता है कि सभी ने उस पर ध्यान दिया और लोग मुझे पसंद करते हैं।