विवाद बढ़ने पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने सीरीज के निर्माताओं के साथ बैठक की और विवादित दृश्य को हटाने का फैसला किया गया। इसके साथ ही तांडव पहली ऐसी वेब सीरीज बन गई, जिसकी सामग्री को हटाना पड़ा। फिल्म निर्देशक ने विवादित दृश्यों के लिए माफी भी मांगी है।
तांडव के दो दृश्यों पर विवाद थे। पहला विवाद सीरीज के पहले एपिसोड के एक दृश्य को लेकर है। दूसरा विवाद सीरीज के आठवें एपिसोड के एक दृश्य को लेकर है। सरकार ने दोनों दृश्य हटवा दिए। इस कारवाई के बाद सरकार के कानूनी प्रावधानों की चर्चा तेज हो गई है।
दरअसल, भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म के नियमन के लिए न कोई कानून है और न कोई नियम है। प्रिंट और रेडियो तो अलग-अलग कानूनों के तहत आते हैं। ओटीटी एक सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है। नवंबर में सरकार ने सभी ओटीटी और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म के कटेंट पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को नजर रखने को कहा था।
‘द इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आॅफ इंडिया’ (आइएएमएआइ) ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर स्व-नियमन का मॉडल तैयार किया है। लेकिन सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए भी स्व-नियमन की संहिता बनाने के लिए कहा है। अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म ऐसा नहीं करेंगे तो सरकार संहिता तैयार करेगी।
यह पहला मौका नहीं है, जब ओटीटी की किसी सिरीज को लेकर विवाद हुआ है। इससे पहले नेटफ्लिक्स की ‘सूटेबल बॉय’ को लेकर विवाद हुआ था। तब मध्यप्रदेश में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। एक मामला रक्षा मंत्रालय के लारा ‘गुंजन सक्सेना’ फिल्म पर आपत्ति का भी था। ‘सेक्रेड गेम्स’ को लेकर भी प्राथमिकी दर्ज हुई थी। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आलोचना की वजह से अमेरिकी शो ‘लास्ट वीक टुनाइट विद जॉन अलिवर’ को हॉटस्टार ने ब्लॉक कर दिया था।
अभी नियमन कैसे
भारत में जितने भी मीडिया प्लेटफॉर्म हैं, उनके नियमन के लिए एक प्राधिकार है। प्रिंट मीडिया को ‘प्रेस काउंसिल आॅफ इंडिया’ नियमित करती है। टीवी न्यूज चैनल को ‘न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन’ नियमित करता है। टीवी विज्ञापन को ‘एडवरटाइसिंग स्टैंडर्ड काउंसिल आॅफ इंडिया’ नियमति करता है। फिल्मों को ‘सेंट्रल बोर्ड आॅफ फिल्म सर्टिफिकेशन’ यानी सेंसर बोर्ड नियमित करता है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म एक तरह से सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसके लिए अभी कोई नियमन तंत्र नहीं है। ‘द इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आॅफ इंडिया’ के पास ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर स्व-नियमन का मॉडल है। इस पर सात सितंबर 2020 को 15 बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म ने दस्तखत किए थे।
इसमें ओटीटी प्लेटफॉर्म के स्व नियमन की बात कही गई थी। स्व नियमन संहिता में उम्र का नियम, सामग्री का विवरण और अभिभावक का नियंत्रण (पैरेंटिंग कंट्रोल) जरूरी होता है।
सुप्रीम कोर्ट की दखल
सुप्रीम कोर्ट में अक्तूबर 2020 में एक याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि बिना जांचे ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री जनता के समक्ष है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए कुछ इंतजाम क्यों नहीं किए गए हैं? इसके बाद केंद्र सरकार ने 11 नवंबर को एक दिशा निर्देश जारी किया था।

