Dinesh Lal Yadav Nirahua Birthday: भोजपुरी के जुबली स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने भोजपुरी फिल्मों में काम कर लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है। एक्टर होने के साथ-साथ निरहुआ सिंगर, प्रोड्यूसर और पॉलिटिशियन भी हैं। अब एक्टर 2 फरवरी को अपना 46वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं। ऐसे में उनके जन्मदिन पर चलिए जानते हैं उनकी लाइफ से जुड़े कुछ मजेदार और दिलचस्प किस्से।

भैंस की पीठ पर बैठकर गाते थे गाना

कुछ महीनों पहले दिनेश लाल यादव निरहुआ ‘आप की अदालत’ शो का हिस्सा बने थे, जहां उन्होंने अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी कई चीजें भी शेयर की थी। इस दौरान एक्टर ने शेयर किया था कि ये सच है कि मैं बचपन में भैंस की पीठ पर बैठकर बहुत देर तक गाना गाता था। दरअसल, मुझे घोड़े पर बैठना था, क्योंकि मुझे बचपन में लगता था कि मैं राजा हूं, लेकिन फिर देखा कि घर में घोड़ा ही नहीं है तो मैं कैसा राजा हूं।

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फिर मुझे ऐसा लगता था कि चलो घोड़ा नहीं है, तो भैंस हैं और मुझे चराने के काम भी मिला हुआ था। मैं गाय और भैंस चराता था, तो गाय पर तो नहीं बैठते थे, लेकिन भैंस के ऊपर बैठ के मैं कई घंटों तक गाता था। इसके बाद एक्टर ने शेयर किया कि मेरे पिताजी को ऐसा लगता था कि बैंक में जो कैशियर होता है सब पैसा उसी के पास होता है। ऐसे में वह मुझसे कहते थे कि तू पढ़ और फिर बैंक में कैशियर बन जा। हालांकि, मैं कोलकाता में पिताजी के साथ रहकर ही पढ़ाई भी कर रहा था।

करिश्मा कपूर के फैन हैं निरहुआ

इस दौरान दिनेश लाल यादव निरहुआ ने यह भी शेयर किया कि उनकी फिल्मों के चक्कर में काफी पिटाई भी होती थी, क्योंकि मैं करिश्मा कपूर का बहुत बड़ा फैन हूं। उनकी कोई ऐसी फिल्म नहीं होती थी, जो फर्स्ट शो में न देखू। जब भी उनकी कोई फिल्म रिलीज होती थी, तो मैं स्कूल से भाग कर… यहां तक कि एक बार तो मैं आर्मी के कैंप से भी भाग कर देखा था। उस समय मैं एनसीसी कर रहा था और हमारा कैंप गया हुआ था एक जगह, फिर मुझे पता चला कि करिश्मा कपूर की फिल्म रिलीज हो रही है आज और शुक्रवार का दिन था। फिर मैंने सोचा कि अगर मैंने नहीं देखी तो ये तो लाइफ का रिकॉर्ड ही टूट जाएगा।

ऐसे में मैंने वहां से भागकर भी उनकी मूवी देखी और एक्ट्रेस के लिए दीवानगी ऐसी थी कि घर की हर दीवार पर उनका फोटो चिपका कर रखता था। फिर पिताजी जब भगवान की पूजा करते थे, तो थोड़ा धुंआ उधर भी जाता था। उस समय वह काफी डांट लगाते थे कि तुम क्या लगा के रखे हो, अब इन लोगों को भी मैं अगरबत्ती दिखाऊ। उस समय मुझे पिटाई पड़ती थी।

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