धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। धर्मेंद्र ने हेमा से शादी करने के लिए अपना धर्म परिवर्तन तक कर लिया था। दोनों की प्रेम कहानी फिल्म इंडस्ट्री में काफी चर्चित थी। इसी कड़ी में लोग उन्हें साथ फिल्म में भी देखना चाहते थे तो गुलजार ने दोनों को लेकर एक रोमांटिक फिल्म बनाने का फैसला किया। फिल्म की कहानी तो कुछ नई नहीं थी क्योंकि इसी कहानी पर पहले तीन फिल्में बन चुकी थीं।
फिल्म मशहूर बंगाली साहित्यकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास पर आधारित थी। फिल्म का नाम भी देवदास तय किया गया था। फिल्म की कहानी खुद गुलजार ने लिखी थी और वह इसके डायरेक्टर भी होने वाले थे। जाने-माने डायरेक्टर प्रकाश मुगदम ने एक इंटरव्यू में खुद इस बात का जिक्र किया था। फिल्म में चंद्रमुखी के किरदार में एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर को चुना गया था।
गुलजार ने इसकी कहानी भी धर्मेंद्र और हेमा मालिनी के सामने पेश कर दी थी। दोनों इसके लिए तैयार भी हो गए थे। फिल्म की स्क्रिप्टिंग, कास्टिंग, शूटिंग और शेड्यूल समेत तय होने के बाद फिल्म का मुहूर्त भी कर हो चुका था। हालांकि फिल्म शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई। फिल्म की कहानी यूं ही पड़ी रह गई, लेकिन इसकी शूटिंग शुरू नहीं हो पाई। तो कुछ देवदास और पारो के रूप में स्क्रीन पर नजर आने का सपना दोनों कलाकारों का अधूरा रह गया।
प्रकाश ने पीटीआई को इंटरव्यू में बताया था, ‘NFAI को इसकी दो रील भी मिली हैं। इसमें पूरी तरह साफ नहीं हो पाया है कि ये दोनों कहां की है, लेकिन इसमें धर्मेंद्र और हेमा मालिनी जरूर नजर आ रहे थे। मैंने गुलजार से भी इस बारे में बात की थी। उन्होंने इससे जुड़े कुछ सुराग दिए हैं।’
शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास पर ये कोई पहली और आखिरी फिल्म नहीं थी। इससे पहले 1928 में साइलेंट फिल्म बन चुकी थी और 1936 में बनी फिल्म में केएल सहगल देवदास बने थे। उपन्यास पर आधारित दूसरी फिल्म 1955 में आई। इसमें दिलीप कुमार को बिमल रॉय ने देवदास बनाया। साल 2002 में सुपरस्टार शाहरुख खान भी देवदास के किरदार में नजर आए। उनके सामने थीं ऐश्वर्या राय।