अपने जमाने के सुपरहिट हीरो धर्मेंद्र का नाम इंडस्ट्री के टॉप मोस्ट हैंडसम मैन की लिस्ट में शुमार था, आज भी उनका जलवा कम नही हैं। फिटनेस के मामले में हमेशा सजग रहने वाले एक्टर को ‘ही-मैन’ कह कर बॉलीवुड में पुकारा जाता रहा है। धर्मेंद्र की पर्सनालिटी को देख कर आम लड़कियां तो क्या, बेहद खूबसूरत हेमा मालिनी भीं अपना दिल हार बैठी थीं। बावजूद इसके धर्मेंद्र ने फिल्म इंडस्ट्री में कभी भी नंबर 1 रहने की रेस में दौड़ नहीं लगाई।

वो दौर ऐसा था जब धीरे धीरे फिल्म इंडस्ट्री ग्रो कर रही थी, नए नए कलाकार और नया टैलेंट निकलकर बाहर आ रहा था। धर्मेंद्र जब पंजाब में अपने गांव से मायानगरी बंबई (मुंबई) नए-नए आए थे तब इस ग्लैमर वर्ल्ड में उन्हें एक ही शख्स ने आकर्षित किया था। वे थे दिलीप कुमार दिलीप कुमार की अदाकारी और उनका हुनर देख कर धर्मेंद्र ने उन्हें जीवनभर के लिए अपना गुरू मान लिया था। दिलीप कुमार से वह इतने प्रभावित थे कि जहां भी जाते बस उन्हीं की खूबियों के बारे में बात करते।

आज भी धरम पाजी के साथ ऐसा ही है। धर्मेंद्र दिलीप कुमार की तारीफ करते कभी नहीं थकते हैं। ऐसे ही प्रभु चावला के शो पर धर्मेंद्र ने एक बार कहा था- ‘दिलीप साहब उन कालाकारों में से एक थे जो बेहतरीन शानदार अदाकारी करते थे। मैं तब नया-नया इंडस्ट्री में आया था, उन्हीं को देख कर मैं यहां आया था। दिलीप साहब फिल्म इंडस्ट्री का वो तराशा हुआ आफ्ताब हैं जिससे रौशनी चुराकर मैंने अपनी हसरतों के दियों की लॉ को रौशन किया है। उनके लिए मेरे दिल में बेहनाह इज्जत, सम्मान, प्यार भरा पड़ा है। इसी तरह से देव साहब हैं। ऐसे हैंडसम इंसान का कोई कॉम्पिटीशन नहीं है।’

इस पर प्रभु चावला ने सवाल किया था- उस जमाने में आप इतने सारे लोग थे- ‘आप थे, राजकपूर साहब थे, राजेश खन्ना थे ये सब थे, पर नंबर 1 नंबर 2 नहीं होता था। कोई शहंशाह नहीं था कोई बादशाह नहीं था।’

इस सवाल पर धर्मेंद्र हंस पड़े थे और बोले थे- ‘हां मानता हूं, जब राजेश खन्ना आए थे तो उन्होंने शुरू किया था कि सुपरस्टार हुए, मैं ये देख रहा था, इसके लिए मैंने ज्यादा भागदौड़ नहीं की। फिर अमिताभ आए। फिर आहिस्ता आहिस्ता ये बीमारी बढ़नी शुरू हुई।’

उन्होंने आगे कहा था- ‘अगर मैं चाहता साहब तो आप जानते हैं फिल्में मेरी हिट हो रही थीं। हां अगर मैं चाहता तो किसी को किसी अखबार की सुर्खी बटोरने न हीं देता। आज हर चैनल के फ्रेम में मैं भी आ सकता था। लेकिन मुझे रैट रेस से कोफ्त होती है। इसके लिए पता नहीं कितनी मेहनत करते होंगे लोग। 24 घंटे बस यही सोचते रहते होंगे कि मैं कौन से फ्रेम में कहां पहुंचूं? कल मेरा ये बन जाए ऐसा हो जाए। ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या?’