Delhi Red Fort Seige: गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली। इस दौरान जमकर उपद्रव भी किया। पुलिस के साथ झड़प हुई। कुछ प्रदर्शनकारी किसान लाल किले में घुस गए और किले की गुंबद पर अपना झंडा लगा दिया। प्रदर्शनकारियों के इस बर्ताव पर बीजेपी नेता संबित पात्रा बुरी तरह भड़कते नजर आए। पात्रा ने ट्वीट कर अपना गुस्सा जाहिर किया और कहा कि जिन्हें हम इतने दिनों से अन्नदाता कह रहे थे वह असल में उग्रवादी निकले। अपनी पोस्ट में संबित पात्रा ने लिखा- ‘जिनको हम इतने दिनों से अन्नदाता कह रहे थे वो आज उग्रवादी साबित हुए। अन्नदाताओं को बदनाम न क़रो, उग्रवादियों को उग्रवादी ही बुलाओ।’
संबित पात्रा की इस पोस्ट पर कमेंट की बौछार होने लगी। एक यूजर ने लिखा- कोई भी व्यक्ति अन्नदाता नहीं है। हममें से हर कोई पैसा कमाने और खाना खाने के लिए कड़ी मेहनत करता है। व्यापार, खेती हमारे कॉर्पोरेट क्षेत्र हैं। हम उन्हें सब्सिडी देने के लिए करों का भुगतान करते हैं। एक ने लिखा- जिसने रिपब्लिक डे के दिन देश को शर्मसार किया है उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए। उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
बलीराम नाम के शख्स ने लिखा- 26 जनवरी की अनहोनी का अंदाजा देशवासियों को पूर्व से था परन्तु राहुल, वामपंथी व विपक्षी नेताओं की योजना थी कि पुलिस को उकसाएं, गोली चले, अनगिनत लाशों का ढेर लगे और वंशवादी नेताओं की लाशों पर राजनीति जीवंत हो सके। क्या ऐसे नेताओं के घृणित कृत्यों के लिए, कोई सजा का प्रावधान नहीं?
एक यूजर बोला- मोदी जी, अब तो ये तीनों कानून कभी वापस नहीं करना, लाल किला हो, या दिल्ली या ये उग्रवादी पूरा भारत ही क्यों न जला दें, लेकिन इनके आगे कभी झुकना नहीं। सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं। इस तिरंगे का अपमान करने वालों को कभी बख्शना नहीं। एक यूजर ने गुस्से में पात्रा को जवाब दिया- अगर किसान उपद्रवी हैं तो फिर “गोबर” खा कर काम चलाना अब !
जिनको हम इतने दिनो से अन्नदाता कह रहें थे
वो आज उग्रवादी साबित हुए।
अन्नदाताओं को बदनाम न क़रो, उग्रवादियों को उग्रवादी ही बुलाओ!!— Sambit Patra (@sambitswaraj) January 26, 2021
दीपक बिष्ट नाम के शख्स ने लिखा- लाल किले की प्राचीर पर झंडा फहराने वाले दीप सिद्धू को NIA ने तलब किया है। सिख फॉर जस्टिस मामले में ये नोटिस दिया गया है। दीप सिद्धू पर विदेशों से पैसा लेने का आरोप है। किसानों के प्रदर्शन के नाम पर पैसों का लेन देन किया गया है। धर्मेंद्र नाम का शख्स बोला- कम से कम दो लाख ट्रैक्टर थे। लोग भी काफ़ी थे। क्या दिल्ली में एक भी दुकान लूटी गई? क्या पब्लिक की कोई कार टूटी? क्या किसी के घर का एक फूल भी किसी ने तोड़ा? किसी लड़की से छेड़खानी हुई? कोई एंबुलेंस रोकी गई? वे हिंसक लोग तो नहीं रहे होंगे। सरकार से उनका पंगा ज़रूर चल रहा है।
हंटर नाम के अकाउंट से एक कमेंट आया- बंद करो इन्हें किसान कहना, ये खालिस्तानी-अर्बन नक्सली देश के दुश्मन और गद्दार हैं। विकिल खान नाम के शख्स ने कहा- हिंसा किसान नहीं कर रहे उनके भेस में संघी और बजरंगी हैं। उस संदिग्ध लड़के ने बताया था कि उन्हें बलवा करने के लिए संसाधन मिला हुआ है। निशान साहिब का झंडा भारतीय फौज ने गलवान में भी फहराया था। तिरंगा लहरा रहा है पूरी शान के साथ। हिंसा के लिए गोदी मीडिया और संघी जिम्मेदार हैं।

