अगर बात 70 के दशक की सफल फिल्मों की होती है तो लोगों के दिमाग में ‘शोले’ का नाम आता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसी साल एक और फिल्म रिलीज हुई थी, जिसने थिएटर से लेकर बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था। न ये कोई एक्शन फिल्म थी, न कॉमेडी और न ही कोई रोमांटिक लव स्टोरी थी, ये थी धार्मिक फिल्म ‘जय संतोषी मां’ और इसने अपने बजट से 2000% मुनाफा कमाया था। इस फिल्म को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे और उनके लिए मानों थिएटर मंदिर बन गए थे, जहां फिल्म खत्म होने के बाद प्रसाद भी बंटा करता था।

स्क्रीन पर चढ़ाते थे माला

ये संतोषी माता और उनके भक्तों की कहानी पर बनी एक धार्मिक फिल्म थी, जिसका निर्देशन विजय शर्मा ने किया था। फिल्म का दर्शकों पर इतना असर पड़ा कि वो धार्मिक रूप से इससे जुड़ते चले गए। लोग दूर-दूर से बैलगाड़ी पर ये फिल्म देखने थिएटर आते थे। फिल्म की कहानी ने लोगों के मन पर ऐसी छाप छोड़ी कि वो थिएटर को मंदिर की तरह मानने लगे।

जो भी लोग ‘जय संतोषी मां’ देखने जाते थे वो चप्पल जूते बाहर ही उतार देते थे। लोग स्क्रीन पर मां को देख उन्हें माला चढ़ाते थे, सिक्के उछालते थे। इतना ही नहीं जैसे किसी पूजा के संपन्न होने के बाद प्रसाद बांटा जाता है, वैसे ही फिल्म खत्म होने पर प्रसाद बंटता था।

फिल्म ने बजट से कई गुना किया था कलेक्शन

फिल्म में न हीरो था न विलेन। सादगी से भरी इस फिल्म ने आज की फिल्म ‘आरआरआर’, ‘जवान’ जैसी फिल्मों का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया था। उस वक्त ये फिल्म हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी हिट बनी। इस फिल्म को 25 लाख के बजट में बनाया गया था और इसने 5 करोड़ का कलेक्शन किया था। फिल्म ने लगभग 2000% मुनाफा हुआ था। जबकि उसी वक्त आई ‘शोले’ को 3 करोड़ में बनाया गया था और उस फिल्म ने  15 करोड़ का बिजनेस किया था। इस हिसाब से फिल्म ने 400% मुनाफा किया था।

बताया जाता है फिल्म की रिलीज के दिन केवल 100 लोग थिएटर आए थे, लेकिन उन 100 लोगों पर फिल्म का ऐसा असर पड़ा कि अगले ही दिन थिएटर हाउसफुल हो गए। ये देखते हुए फिल्म के शोज बढ़ाए गए और फिर दर्शकों का जमावड़ा लगने लगा।