बजरंगी भाईजान, पीकू, मसान, मैरी कॉम, हैदर, बाहुबली और एनएच-10 जैसी चर्चित और दावेदार फिल्मों को पीछे छोड़कर कम बजट और नए निर्देशक की मराठी फिल्म कोर्ट आॅस्कर की आस लेकर भारत की नुमाइंदगी करने जा रही है। यह फिल्म पहले ही राष्ट्रीय पुरस्कार समेत कई अंतरराष्ट्रीय इनाम जीत चुकी है।
भारतीय न्याय प्रणाली की हकीकत बयां करने वाली फिल्म कोर्ट लेखक-निर्देशक चैतन्य ताम्हाणे की फिल्म है। इसका चयन 88वें आॅस्कर में अगले साल सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी में देश का आधिकारिक रूप से प्रतिनिधित्व करने के लिए किया गया है।
फिल्म फेडरेशन आॅफ इंडिया के महासचिव सुप्राण सेन ने बुधवार को बताया कि कोर्ट का चयन आॅस्कर में आधिकारिक प्रविष्टि के तौर पर किया गया है। इस साल इसके लिए 30 फिल्में दौड़ में थीं। खास बात है कि यह ताम्हाणे की पहली फिल्म है। उनकी स्वतंत्र, कम बजट की, लेकिन विषय पर मजबूत पकड़ रखने वाली कहानी ने आलोचकों से खूब वाहवाही बटोरी है जिन्होंने इसे हाल के समय में देश में बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में एक बताया है। फिल्म की अदाकारा गीतांजलि कुलकर्णी ने इस चयन को एक बड़ा सम्मान बताया है।
उन्होंने कहा कि यह एक असाधारण और अविश्वसनीय उपलब्धि है। हम इसे चाहते थे इसलिए हम बहुत खुश हैं। यह नए लोगों की एक टीम थी और निर्देशक और निर्माता ने भी इसके साथ अपने करिअर की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, हमें अच्छा लग रहा है कि हमारी फिल्म को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबने सराहा। यह भी एक अच्छा संकेत है कि आॅस्कर के लिए किसी फिल्म का चयन करने में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म पर विचार किया गया।
ताम्हाणे इस समय जापान में हैं। उन्होंने फोन पर बताया कि फिल्म की यात्रा के हर चरण और लम्हे में हमने महसूस किया कि हमने जितनी उम्मीद की, उससे कहीं ज्यादा इस फिल्म ने हमें दिया। इस फिल्म के चयन के लिए हम जूरी और उन लोगों के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने हम सबका हौसला बढ़ाया।
यह फिल्म एक उम्रदराज लोक गायक की कहानी बयां करती है जिस पर अदालत में आत्महत्या के लिए उकसाने की कोशिश करने को लेकर मुकदमा चलाया जाता है। यह फिल्म लोक गायक जितेन मरांडी के जीवन पर आधारित है। कोर्ट का चयन चर्चित हिंदी-मराठी फिल्म अभिनेता और फिल्मकार अमोल पालेकर की अध्यक्षता वाली फिल्म फेडरेशन आॅफ इंडिया की चयन समिति ने किया।
मराठी फिल्मकार रवि जाधव ने फेसबुक पर यह जानकारी साझा की है। भारत ने आॅस्कर में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी में कभी ऑस्कर नहीं जीता है। जूरी ने इस श्रेणी में भेजने के लिए देश भर से आई 30 फिल्मों में से ‘कोर्ट’ का चुनाव किया । इन 30 फिल्मों में ‘बजरंगी भाईजान’, ‘बाहुबली’, ‘पीकू’ जैसी फिल्में शामिल थीं। आॅस्कर पुरस्कारों का आयोजन अगले साल फरवरी में होगा।
आॅस्कर पुरस्कारों की सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी में नामांकन पाने के लिए दुनिया भर के देशों में बनी फिल्में भेजी जाती हैं। भारत में फिल्म फेडरेशन आॅफ इंडिया (एफएफआइ) इस श्रेणी में भारतीय फिल्म भेजने के लिए देश भर के फिल्म निर्माताओं से अपनी फिल्में भेजने अपील करती है। इसके लिए बनी जूरी इन फिल्मों का अवलोकन करती है और एक फिल्म का चुनाव करती है। यह फिल्म आॅस्कर की विदेशी फिल्म श्रेणी में नामांकन के लिए भेजी जाती है। अभी तक भारत से ‘मदर इंडिया’, ‘सलाम बॉम्बे’ और ‘लगान’ जैसी फिल्में ही आॅस्कर की सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी में नामांकित हुई हैं।
छोटे बजट की ‘कोर्ट’ भारतीय कानूनी प्रक्रिया और वर्ग वैषम्य को सामने रखती है। फिल्म एक लोकगायक नारायण कांबले (वीरा साथीदार) पर चलने वाले मुकदमे के माध्यम से भारतीय कानूनी प्रक्रिया की बारीकी से पड़ताल करती है। ‘कोर्ट’ की दूसरी खूबी यह है कि उसमें नामी गिरामी और व्यावसायिक कलाकार नहीं है। फिल्म के कलाकारों में कोई बैंककर्मी है तो कोई शिक्षक या सरकारी कर्मचारी।
वीरा साथीदार, विवेक गोम्बर, प्रदीप जोशी, गीतांजलि कुलकर्णी अभिनीत इस मराठी फिल्म ने 62 वें राष्ट्रीय पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता था। सिर्फ देश ही नहीं विदेश में भी इस फिल्म को आलोचकों ने सराहा। दुनिया के डेढ़ दर्जन फिल्म समारोहों में इस फिल्म को पुरस्कृत किया गया।