‘एक था टाइगर’, 83, चंदू चैंपियन जैसी कई फिल्मों के लिए मशहूर निर्देशक कबीर खान ने द इंडियन एक्सप्रेस के ‘एक्सप्रेसो’ के आठवें एडिशन में शिरकत की। इस कार्यक्रम में, कबीर ने अपनी सबसे सफल फिल्मों में से एक, सलमान खान स्टारर ‘बजरंगी भाईजान’ के बारे में बात की। फिल्म में, सलमान ने भारत के हिंदू व्यक्ति की भूमिका निभाई है, जो एक मुस्लिम बच्ची को सुरक्षित पाकिस्तान में उसके घर वापस पहुंचाने के लिए सीमा पार करता है। रास्ते में वो कई ऐसे लोगों से मिलता है जो उसे आगे बढ़ने में मदद करते हैं। कबीर ने बताया कि फिल्म के एक डायलॉग को लेकर उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

उन्होंने बताया कि सेंसर बोर्ड ने उनसे फिल्म से ‘जय श्री राम’ के डायलॉग को हटाने के लिए कहा था, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे मुसलमान नाराज हो सकते हैं। कबीर ने सेंसर बोर्ड के साथ अपनी बातचीत को याद किया और बताया कि पाकिस्तान में सेट एक खास सीन में, ओम पुरी का किरदार सलमान के किरदार को अलविदा कहता है और उन्हें महसूस होता है कि बजरंगी ‘खुदा हाफिज’ कहने में हिचकिचा रहा है। फिर वो दूसरे किरदार से पूछते हैं, “आप लोग क्या कहते हैं? जय श्री राम ना?

कबीर ने कहा, “ओम पुरी का किरदार तुरंत ‘जय श्री राम’ कहता है और सेंसर ने मुझे उसे काटने के लिए कहा। मैंने पूछा क्यों, तो उन्होंने कहा कि मुसलमानों को ये पसंद नहीं आएगा।” कबीर ने फिर सेंसर बोर्ड को बताया कि वो भी मुसलमान हैं और उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने बताया, “मैंने कहा, ‘सर, मेरा नाम क्या है? मुझे इससे कोई आपत्ति नहीं है।”

कबीर खान ने दिल्ली में अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि एक समय था जब ‘जय श्री राम’ का इस्तेमाल अभिवादन के लिए किया जाता था, न कि किसी राजनीतिक बयानबाजी के लिए। उन्होंने कहा, “मैं ऐसी दिल्ली में पला-बढ़ा हूं जहां ‘जय श्री राम’ कोई राजनीतिक अभिवादन नहीं था। हर कोई इसका इस्तेमाल करता था और मैं पुरानी दिल्ली में भी रहा हूं जहां ‘जय श्री राम’ कहना ‘हैलो’ और ‘अलविदा’ कहने जैसा था, तो मैंने पूछा कि उन्हें इससे बुरा क्यों लगेगा? मैंने इसके लिए लड़ाई लड़ी। मैं इस पर कायम रहा।”

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