CAA Protest Bollywood: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में बॉलीवुड एक्टर जावेद जाफरी ने भी प्रतिक्रिया दी थी और इस कानून के विरोध में ट्वीट किया था। लेकिन जावेद को उनका ये ट्वीट भारी पड़ा और सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें बुरी तरह ट्रोल करना शुरू कर दिया था। आखिरकार जावेद ने बुरी तरह से ट्रोल होने पर ट्विटर छोड़ने का फैसला किया है।
जावेद ने इस बात की जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट शेयर करते हुए दी है। जावेद ने भारी मन से ट्वीट करते हुए लिखा है कि अब मुझसे ये नफरत और ट्रोलिंग बरदाश्त नहीं हो रही है जिसके चलते मैं तब तक के लिए सोशल मीडिया से अलविदा कह रहा हूं जब तक की हालात बेहतर नहीं हो जाते हैं। जावेद ने उम्मीद जताई कि भारत में हालात पहले की तरह ही फिर से बेहतर होंगे जिसके बाद वो सोशल मीडिया पर वापसी करेंगे।
Can’t handle this trolling and hate.. going off social media till the situation improves.. hopefully..Inshallaah..#indiafirst #jaihind
— Jaaved Jaaferi (@jaavedjaaferi) December 22, 2019
मालूम हो कि जावेद जाफरी ने इस बिल का विरोध करते हुए शायराना अंदाज में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हमला बोला था। जावेद ने कौसर मुनीर की एक शायरी शेयर करते हुए ट्वीट किया था कि इस्लामी नाम, नमाजी बाप, खुदा का ताब, जो कर न सका…एक कागज के पुरजे ने वो काम कर दिया। इसके अलावा भी जावेद ने इस बिल को आड़े हाथों लेते हुए विरोध में ट्टीट किया कि क्या CAB ड्राइवर से ये अपेक्षा नहीं की जाती कि जहां पैसेंजर जाना चाहे वहां लेकर जाए न कि जहां वह ले जाना चाहता है?
बता दें कि जावेद जाफरी के अलावा फरहान अख्तर, ऋचा चड्ढा, महेश भट्ट, आलिया भट्ट, सोनी राजदान, निर्देशक कबीर खान ने इस बिल के विरोध में रिएक्ट किया था। जहां महेश भट्ट ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हमला बोला था वहीं फरहान अख्तर ने मुंबई की सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था।
महेश भट्ट ने कसम खाते हुए कहा था कि अगर हमारी नागरिकता को लेकर कोई कागजात मांगे जाते हैं तो हम इसे जमा नहीं कराएंगे। भारत का संविधान अमर रहे। भारत की एकता अमर रहे। हमें अपनी एकता और अनेकता में गर्व है। हम शपथ लेते हैं कि हर नागरिकों के साथ समानता का व्यवहार करेंगे चाहे जो हो। वहीं फरहान ने कहा था कि किसी चीज के खिलाफ जिससे आप सहमत न हों अपनी आवाज उठाना एक पूर्ण लोकतांत्रिक अधिकार है।