आरती सक्सेना

अजय देवगन की फिल्म ‘मैदान’ जो 150 करोड़ की लागत से बनी थी और मगर 30 करोड़ का भी कारोबार नहीं कर पाई। इसी तरह अक्षय कुमार और टाइगर श्राफ की फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ जो 350 करोड़ की लागत से बनी थी, वह पूरी तरह पिट गई। इन फिल्मों की अपार विफलता ने निर्माता का विश्वास हिला कर रख दिया। हर किसी के मन में एक ही सवाल आ रहा है कि क्या वर्ष 2024 फिल्मों के प्रदर्शन को लेकर कमजोर और मुश्किलों से भरा साबित होने वाला है? बालीवुड की दो बड़ी विफल फिल्मों के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाती है। 2024 क्या कठिन साबित होने वाला है?

वर्ष 2024 में फिल्में लगातार पिटने से निर्माता का विश्वास डगमगाना वाजिब है। 2024 की शुरुआत से ही अब तक ‘मैरी क्रिसमस’, ‘मडगांव एक्सप्रेस’, ‘वीर सावरकर, ‘द क्रू’ जैसी कई बड़े और छोटे बजट की फिल्मों की असफलता को देखकर आने वाले समय में नई फिल्मों के प्रदर्शन को लेकर चिंता बढ़ गई है। निर्माताओं को बाक्स आफिस पर कारोबार की चिंता सताने लगी है। क्योंकि निर्माताओं द्वारा टिकट का दाम कम करने से लेकर, मल्टीप्लेक्स थिएटर में दर्शकों को लुभाने के लिए खाने पीने के समान से लेकर सस्ते टिकट की छूट देने के बावजूद बड़े बजट की फिल्में अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रही हैं।

आने वाले समय में कई ऐसी बड़ी फिल्में आ रही हैं जिनका निर्माण कई वर्षों से हो रहा है और इन फिल्मों का बजट करोड़ों में है। जैसे ‘कल्कि 2898’ का बजट 600 करोड़ रुपए और इसके मुख्य कलाकार अमिताभ बच्चन, कमल हसन, दीपिका पादुकोण, प्रभास आदि हैं। अजय देवगन की फिल्म ‘सिंघम अगेन’ का बजट 200 करोड़ है, सिंघम अगेन के प्रदर्शरन की तिथि 15 अगस्त है।

इसी तरह बड़े बजट में जान अब्राहम की ‘वेदा’, 12 जुलाई, अल्लू अर्जुन अभिनीत ‘पुष्पा 2’ अगस्त में, 26 अप्रैल को ‘तेहरान’, 26 अप्रैल को ‘औरों में कहां है दम’, 30 अगस्त को ‘स्त्री 2’, 27 सितंबर को ‘जिगरा’, 13 सितंबर को ‘मेट्रो इन दिनों’, 15 नवंबर को ‘रेड 2’, 20 दिसंबर को कई सितारों से सजी जैसे अक्षय कुमार, जावेद जाफरी, रवीना टंडन, अरशद वारसी आदि कई कलाकारों से सजी हास्य फिल्म ‘वेलकम टू जंगल’, आमिर खान की फिल्म ‘सितारे जमीन पर’ 25 दिसंबर को, ‘केजीएफ 3’ साल के अंत में आदि कई बिग बजट फिल्में 2024 में प्रदर्शित होगी।

जिसे देखने के लिए दर्शक बेकरार हैं। आने वाली फिल्मों में 1500 करोड़ के करीब लागत लगी है। वर्ष 2024 में लगातार बड़ी फिल्मों की असफलता को लेकर कई सारे कारण बताए जा रहे हैं। कई फिल्में अच्छी होने, दर्शकों और आलोचकों द्वारा तारीफ पाने के बावजूद बाक्स आफिस पर असफल हो रही हैं। जैसे हास्य फिल्म ‘मडगांव एक्सप्रेस’, अजय देवगन की खेल पर आधारित फिल्म ‘मैदान’, स्वतंत्र वीर सावरकर आदि फिल्मों को पसंद किया गया लेकिन इन फिल्मों का बाक्स आफिस कारोबार निराशाजनक रहा। फिल्मों की असफलता को लेकर वजह बताते हुए आलोचक और संपादक नरेंद्र गुप्ता का मानना है की फिल्म की असफलता के पीछे सबसे बड़ी वजह है उसका भारी बजट। हिंदी में कहावत है ‘जितनी चादर हो, उतना ही पैर फैलाना चाहिए’।

बालीवुड वाले अपनी फिल्मों का बजट इतना ज्यादा रख रहे हैं कि आज के समय में उतना कारोबार कर पाना नामुमकिन है। आज फिल्मों की हालत ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया’ जैसी है। इसी वजह से एक अच्छी फिल्म भी अपनी लागत वसूल ना कर पाने के कारण पिट रही है। एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए बहुत जरूरी है की कलाकार अपना पारिश्रमिक कम करें और निर्माता महंगे प्रचार-प्रसार, महंगी लोकेशन, विदेश में शूटिंग की बजाय फिल्म की कहानी और निर्माण पर ज्यादा ध्यान दें।

खासतौर पर बजट का ध्यान दें, अपनी फिल्म के निर्माण में उतना ही पैसा लगाएं, जितने की कमाई की उम्मीद हो। जबकि इसके विपरीत आज फिल्में दिखावे के लिए महंगे सेट, महंगी लोकेशन, कमजोर कहानी, सफल कलाकारों की भारी फीस और बड़े बजट के साथ बनाई जा रही हैं। जो दर्शकों के गले नहीं उतर रही हैं। इसके बावजूद दर्शक थिएटर तक नहीं आ रहे। जिसके चलते फिल्म प्रदर्शन के बाद मुनाफा तो दूर फिल्म निर्माण की लागत भी नहीं निकाल पा रही है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि फिल्म निर्माता निर्देशक और कलाकार एक-दूसरे को सहयोग देकर एक अच्छी फिल्म का निर्माण करें, जिसे देखने दर्शन महंगे टिकट लेकर भी आएं।