इजाबेल के गाडफॉदर

कैटरीना कैफ सात बहनें हैं। तीन उनसे बड़ी, तीन छोटी। सबसे छोटी है इजाबेल, जो अमेरिका में पढ़ीं हैं और 14 साल की उम्र से मॉडलिंग कर रही हैं। उन्हें 2014 में सलमान खान की बीइंग ह्यूमन ने कनाडा की दो कंपनियों के साथ मिलकर 25 मिलियन डॉलर की फिल्म ‘डॉ कैबी’ में लांच किया था।

उस फिल्म से इजाबेल का ज्यादा कुछ बना बिगड़ा नहीं। फिर सलमान ने इजाबेल को ‘टाइम टू डांस’ में सूरज पंचोली के साथ फिट किया, जिसे टी सीरीज ने बनाया है। सांप्रदायिक सौहार्द पर बनने वाली यह फिल्म रिलीज के लिए तैयार है। अब इजाबेल की हौसलाअफजाई के लिए दो कंपनियों ने गठबंधन कर पुलकित सम्राट के साथ ‘सुस्वागतम खुशामदीद’ नामक फिल्म के लिए साइन कर लिया है।

यानी छह साल पहले सलमान ने जिस इजाबेल को कनाडा की फिल्मी दुनिया में फिट किया था, जल्दी ही वह बॉलीवुड की फिल्मों में भी दर्शन देंगी। एक तरह से करिश्मा-करीना, काजोल-तनीशा, अमृता अरोड़ा-मलाइका अरोड़ा के बाद बहन ब्रिगेड तैयार हो रही है बॉलीवुड में। जान्हवी की बहन खुशी और कीर्ति सेनन की बहन भी जल्दी ही हिंदी फिल्मों में नजर आ सकती हैं।

प्रकाश राज हाशिए पर

जिस कलाकार को दर्शकों की सराहना मिले, जिसके काम की तारीफ हो, उसे साइन करने के लिए बॉलीवुड के निर्माता हमेशा तैयार नजर आते हैं। मगर हर वक्त ऐसा हो, जरूरी नहीं। प्रकाश राज का उदाहरण सामने है। ‘वांटेड’ और ‘सिंघम’ जैसी फिल्मों के बाद लगा था कि अपने जबरदस्त अभिनय और प्रभावशाली संवाद अदायगी के दम पर प्रकाश राज अमरीश पुरी की जगह ले लेंगे।

मगर ऐसा नहीं हुआ। व्यवस्था के प्रति विद्रोही रहे प्रकाश राज को पहले तो तेलुगू फिल्मों में ही छह बार बैन का सामना करना पड़ा। तेलुगू हीरो उनसे नाराज नजर आए। फिर ‘सिंघम’ में विवाद खड़ा हुआ कि उन्होंने कर्नाटकवासियों का अपमान किया। ‘1000 लोग कर्नाटक में लाएंगे’ की प्रतिक्रिया में अजय देवगन के बोले संवाद ‘एक शेर सौ कुत्तों पर भारी पड़ता है’ को लेकर।

कुल मिलाकर इन सबका परिणाम यह निकला कि कई फिल्मों में अभिनय, 18 फिल्मों के निर्माता और चार फिल्मों के निर्देशक प्रकाश राज को मुंबइया निर्माताओं ने हाशिए पर डालना शुरू कर दिया। जो एकमात्र फिल्म उनके पास है वह है तमिल, तेलुगू और हिंदी में बनी ‘तलैवी’, जो तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं दिवंगत जयललिता के जीवन पर बन रही है। इसमें प्रकाश राज डीएमके नेता करुणानिधि की भूमिका कर रहे हैं और कंगना रनौत जयललिता की।

मुखर कंगना

कंगना ने फिल्मजगत में भाई-भतीजावाद को लेकर मुखर होने के बाद कई बड़े निर्माता उनसे दूर हो गए हैं। कंगना खुद अपने दम पर बॉलीवुड में चल रही हैं। 2009 में ‘राज- द मिस्ट्री कंटीन्यूअस’, 2010 में ‘वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई’, 2011 में ‘तनु वेड्स मनु’, 2013 में ‘कृष 3’, 2014 में ‘क्वीन’, 2015 में ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ जैसी लगातार सफलता के बाद लगा था कि जल्दी ही बॉलीवुड में उन्हें चोटी की अभिनेत्रियों में गिना जाने लगेगा।

मगर ऐसा नहीं हुआ। ‘कृष 3’ के बाद ऋत्विक रोशन से कथित अफेयर को लेकर खड़ा बखेड़ा और सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद में बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद को लेकर खोले मोर्चे से कंगना ने अपनी सफलता के रथ के पहिए के नीचे खुद र्इंट रख दी है।