कोंकणा सेन शर्मा अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं। एक्ट्रेस ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है। कोंकणा सेन बड़ी आसानी से हर किरदार में खुद को ढाल लेती हैं। एक्ट्रेस ने महज 4 साल की उम्र में इंडस्ट्री में कदम रखा था। 1983 में वह ‘इंदिरा’ में चाइल्ड एक्टर के रूप में दिखाई दी थीं। एक्ट्रेस हाल ही में वेब सीरीज किलर सूप में नजर आई हैं।
इसमें उनके साथ एक्टर मनोज बाजपेयी मुख्य रोल में हैं। इस सीरीज को खूब पसंद किया जा रहा है। उनके अभिनय की जमकर तारीफ हो रही है। अब हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने OTT करियर और सेंसरशिप पर खुलकर बात की है। उन्होंने कहा कि उन्हें डर लगता है कि कब किस बात के लिए FIR हो जाए। एक्ट्रेस और क्या कुछ कहा आइए आपको बताते हैं।
कोंकणा सेन शर्मा ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ‘शो बनाने में भी काफी समय लगता है और जब दर्शक इसे देखते हैं तब तक काफी समय बीत चुका होता है। जैसे ही आप शूटिंग पूरी करते हैं तो आप बहुत कमजोर महसूस करते हैं, लेकिन जब तक यह रिलीज होती है तब तक आप कुछ हद तक शांत हो जाते हैं और यह अच्छी बात है। जब तक भारत में ओटीटी का बोलबाला नहीं था, तब तक मैं फार्गो और ब्रेकिंग बैड जैसी इंटरनेशनल सीरीज देखा करती थी। मैं इस कॉन्सेप्ट से अनजान नहीं थी, और ऐसी सीरीज करने के लिए एक्साइटेड थी क्योंकि मैंने केवल मूवीज और शॉर्ट फिल्में ही की थीं। इसलिए जब मुझे पहली बार मुंबई डायरीज ऑफर हुई तो मैं बहुत खुश हो गई थी क्योंकि मैंने कभी वेब सीरीज में काम नहीं किया था।’
एक्ट्रेस ने आगे कहा कि ‘मैं सभी ओटीटी फिल्में और शो नहीं देखती। लेकिन हाल ही में जिन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया है, उनमें महिलाओं के लिए इतने बड़े रोल्स नहीं हैं। मुझसे गलती हो सकती है, लेकिन बड़े पर्दे पर अभी महिलाओं के लिए अच्छे रोल्स नहीं हैं। जबकि ओटीटी पर ऐसा देखने को मिलता है। हर कोई इस बारे में बहुत सावधान है कि वे क्या कह रहे हैं, कोई नहीं जानता कि कब FIR हो जाएगी। आज सेल्फ सेंसरशिप का जमाना है, जो एक दशक पहले नहीं था। यह सेंसरशिप काफी हद तक धार्मिक भावनाओं के सम्मान करने के बारे में ज्यादा है।’
किलर सूप एक्ट्रेस ने आगे कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि ऐसा महिलाओं के लिए भी है। सीरीज में महिलाओं के साथ हिंसा दिखाई जाती है , लेकिन दुख की बात है कि इस पर सेंसरशिप नहीं लगाई जाती है। हमें खुद सोचना होगा कि यह कितना अच्छा या बुरा है। जब धर्म की बात आती है तो बहुत अधिक सेंसरशिप होती है। हमें खुद सोचना होगा कि यह कितना अच्छा है और कितना बुरा।’
