भारतीय रुपया गिरकर लगभग 80 रुपये प्रति डॉलर के करीब पहुंच गया है। इससे कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों तक का आयात, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा महंगी होने के साथ ही महंगाई की स्थिति और खराब होने की आशंका है। इस मसले पर विपक्षी दल मोदी सरकार पर हमलावर हैं। सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ी है। वहीं बॉलीवुड एक्टर कमाल आर.खान ने भी तंज कसा है।

केआरके ने किया ट्वीट: जब 1$ = ₹56 था तो मोदी जी पीएम मनमोहन सिंह जी की आलोचना कर रहे थे। अनुपम खेर मनमोहन सिंह को गाली देते थे। आज जब 1$=₹80.05 तो ये सब लोग मुंह में दही जमा कर, बेशर्मी का दमन पकड़कर चुपचाप बैठे हैं।

इसी के साथ केआरके ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि आज किसी को परवाह नहीं है कि रुपये की कीमत क्या है? कीमतें क्या हैं? देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या है? हर कोई हिंदू मुस्लिम में ही व्यस्त है और मोदी जी भी फेकम फेक करने में व्यस्त हैं। और मैं उन्हें बिल्कुल भी दोष नहीं देता, क्योंकि वह इससे ज्यादा कुछ नहीं जानतें।

लोगों ने दी प्रतिक्रियाएं: एक यूजर ने केआरके के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि सर, यूएसडी से एयूडी पर एक नजर डालें। AUD को सबसे मजबूत साइरेन्सी में से एक माना जाता है, लेकिन इसके मूल्य में 3 महीने से भी कम समय में 10% की कमी आई है। जबकि AUD से INR अपेक्षाकृत स्थिर है। यानी महंगाई की वजह से सभी मुद्राएं नीचे जा रही हैं। मनमोहन नाम के यूजर ने लिखा कि इतनी बार तो झुमका भी नहीं गिरा बरेली के बाजार में,जितनी बार रुपया गिर गया आज की सरकार में? हर्ष नाम के यूजर ने लिखा की समय के साथ सभी परिपक्क होते हैं, अब उन्हें इकोनोमी का विषय समझ में आता है, इसलिए जब परिपक्क हो गए हैं तो शिकायत करेंगे।

सुनील नाम के यूजर ने लिखा कि भाई जान भारत ही नहीं पूरी दुनिया देश की अर्थव्यवस्था के लिए संघर्ष कर रही है। मोदीजी की जग तेरी आप या कांग्रेस होती तो भारत भी श्रीलंका की तरह होता और पीएम को देश छोड़ कर भागने की नौबत आ जाती। मोदीजी को धन्यवाद कीजिए। मैं यूएसए में हूं मुझे पता है कि यूएसए में कितना बुरा हाल है। अमन नाम के यूजर लिखते हैं कि सबकी अपनी दुकान है जैसे तुमने उदयपुर वाले मामले पर कुछ नहीं कहा, जैसे तुम एक तरफा बात करते हो वैसे ही सब हैं।

क्यों गिर रहा है रुपया: बता दें जब विदेशी निवेशक जब अचानक भारतीय बाजार से रुपया वापस खींचने लगते हैं, तब रुपये की कीमतें तेजी से गिरने लगती हैं। केवल इसी वर्ष विदेशी निवेशकों ने दो बिलियन डॉलर से ज्यादा की रकम को भारतीय शेयर बाजार से निकाल लिया है। अमेरिकन-यूरोपीय केंद्रीय बैंकों ने अपने यहां बैंक दरें बढ़ा दी हैं, निवेशकों को अब भारतीय बाजार से ज्यादा रिटर्न अमेरिकन बैंकों में दिखाई पड़ रहा है, लिहाजा वे यहां से पैसा निकालकर वापस अपने देश में लगा रहे हैं। इसका सीधा असर रुपये की कीमतों में दिखाई पड़ रहा है।