Khesari Lal Yadav: भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। खेसारी लाल यादव ने अपने दमदार अभिनय और संगीत के दम पर भोजपुरी ही नहीं बल्कि हिंदी भाषा के दर्शकों को भी काफी इम्प्रेस किया है। खेसारी लाल यादव आज जिस मुकाम पर हैं उसके पीछे उनकी तो कड़ी मेहनत है ही लेकिन उससे कहीं ज्यादा मेहनत उनके पिता की भी है। खेसारी लाल यादव एक इंटरव्यू के दौरान गरीबी के दिनों को यादकर भावुक हो जाते हैं।

इंटरव्यू के दौरान खेसारी ने कहा, ‘मेरे पिता काफी मेहनत करते थे। वह दिन में चना बेचते थे और रात में गार्ड का काम करते थे। दिन-रात काम करने के चलते वह सोते नहीं थे। मेरे पिता सुबह 6 बजे घर आते थे और बस 7-8 बजे तक ही आराम कर पाते थे। उसके बाद वह मंडी जाकर चना बेचने के लिए सामान लाते थे। वह सड़ा हुआ प्याज लाते थे और उसमें का सड़ा हुआ भाग निकालकर जो अंदर का गुदा होता था उसे चना में डालकर बेचते थे।’

खेसारी ने कहा, ‘हमनें काफी गरीबी में जीवन जिया है। मेरे पिता दिन मेें 150-200 रुपए ही कमाते थे। मेरे माता-पिता दिल्ली में एक छोटे से झोपड़े में रहते थे। मैं जब वह गरीबी याद करता हूं तो सोचता हूं कि दुनिया में हर माता-पिता ऐसा किए हैं या नहीं यह तो मुझे नहीं पता लेकिन मेरे पापा ने जो मेरे लिए किया है उसे मैं कभी नहीं भूल सकता हूं। मेरे पिता ने चने बेचकर ही मुझे गाने रिकॉर्ड करने के लिए पैसे दिए थे।’

बता दें कि खेसारी लाल यादव का शुरुआती जीवन काफी गरीबी में गुजरा था। खेसारी छपरा (बिहार) के रसूलपुर चट्टी धनाड़ी गांव के साधारण से परिवार में जन्मे थे। खेसारी ने करीब 10 सालों तक दूध बेचने का काम किया था। इसके बाद वह दिल्ली आकर पत्नी के साथ लिट्टी चोखा की रेहड़ी भी लगाया करते थे। खेसारी ने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर इंडस्ट्री में काफी नाम कमाया और फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।