भोजपुरी के जब भी बात आवेला ता मन में एगो मिठास जइसन लागेला। भोजपुरी के बोली में आपन एगो अलग मिठास है, जे ओकरा के बोले ला उहे एकर मिठास भी जानेला। हर भाषा और ओकर सिनेमा के आपन अलग महत्व होला। ओसही भोजपुरियो के बा। भोजपुरी फिल्मन में ऊहां के रीति-रिवाज और परंपरा के देखावल जाला, जेकरा के अलगे अनुभव होला। भोजपुरी सिनेमा के जब शुरुआत भइल रहे ता उस समय एल्बम के भी अलगे दौर रहे। हमनी के बचपना में भोजपुरी क लोकगीत बिरहा, कजरी, ठुमरी, निर्गुण, पूरबीया खूब बजत रहल अउर हमनी के सभे खूब मजा कइल जाव। लेकिन, आज के दौर में ना त ठीक से भोजपुरी सिनेमा बचल हव ना तो भोजपुरी के असल पहचान ऊ पुरनका गीत-संगीत। आज आपके इ रिपोर्ट में भोजपुरी में भइल बदलाव के बारे में बात कइल जाव…

भोजपुरी सिनेमा के बहुत बड़ इतिहास ना बाटे। एकर शुरुआत साल 1962 में ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ से भइल रहे। लेकिन, फिल्मन में भोजपुरी भाषा के शुरुआत पहिले ही भइल रहे। भारतीय सिनेमा के पहिली फिल्म रहे ‘आलम आरा’, जेकरा के 1931 में रिलीज कइल गइल रहे। एकरा बाद दूसरका फिलिम 1932 में रिलीज भइल, जेकर नाम रहे ‘इंदरसभा’। एमे 72 गीत रहल और दूगो गाना भोजपुरी भाषा में रहल। ऊ गाना के बोल- ‘सुरतिया दिखाय जाओ ओ बांके छैला’ और ‘ठाढ़े हूं तोरे द्लार बुलाले मोरे साजन रे’। सही मायने में भोजपुरी के शुरुआत ता फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ से भइल रहे। इस पूर्ण रूप से भोजपुरी फिल्म रहे, जेकर गीत-संगीत से लइके डायलॉग तक भोजपुरी भाषा में रहे।

सबसे पहिले जद्दनबाई देखले रहली भोजपुरी फिल्म के सपना

भोजपुरी फिल्म के सबसे पहिले जे सपना देखले रहलीं ऊ संजय दत्त के नानी और नरगिस के माई रहलीं। उनकर नाम जद्दनबाई रहल। उनकर पहचान केवल नरगिस के माई ना रहे। बल्कि सिनेमा के इतिहास क ऊ पहिला महिला संगीतकार रहली। जद्दनबाई के ताल्लुक बनारस से रहे और भोजपुरी भाषी रहलीं। रविराज पटेल के किताब ‘भोजपुरी फिल्मों का सफरनामा’ के मुताबिक, जद्दनबाई ही ऊ महिला रहली, जे पहिला बेर सिनेमा के इतिहास में फिल्म में ठुमरी गीत गवले रहली। ऊ आपन कला पर डायरेक्टर महबूब खान के मजबूर क देहले रहली कि ऊ आपन फिलिम ‘तकदीर’ (1943) में उनकर ठुमरी गीत भी डालें।

कइसे बनल ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढइबो’?

भोजपुरी के पहिला फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ के बनावला के अहम योगदान दो लोगन के जाला। एमे पहिला योगदान भारत क प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और दूसरका नजीर हुसैन रहले। साल 1950 में राजेंद्र प्रसाद एगो सभा के संबोधित करत भोजपुरी फिल्म के लइके आपन इच्छा जतवले रहले और ऊनकर ई इच्छा नजीर हुसैन पूरा कइले रहले। नजीर हुसैन ही एकर पटकथा तैयार कइले रहले। डायरेक्टर से प्रोड्यूसर तक के उहे खोजले रहले। एकर डायरेक्टर विमल राय रहले। ई फिल्म में अभिनेत्री कुमकुम, अभिनेता असीम कुमार, अभिनेत्री कुमारी पद्मा अउर हेलन जइसन कलाकार रहली। ई फिल्म के गूंज अइसन रहे कि एकर तारीफ खुद लालबहादुर शास्त्री कइले रहले। एकरा बाद फिल्म के निर्माण के संघर्ष ना रुकल। फिर दूसरका फिलिम ‘बिदेसिया’ बनल। एमे अभिनेता सुजीत कुमार और कुमारी नाज रहली। सुजीत बादे में भोजपुरी के पहिला स्टार कहाइले। फिर तीसरकी फिलिम आइल ‘लागी ना छूटे रामा’। एमे ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ के पूरा टीम रहे।

अब भोजपुरी फिल्मन के रंगीन दौर के भी शुरुआत हो गइल रहे। ई दौर रहे 1977-1990 के। पहली भोजपुरी के रंगीन फिलिम ‘दंगल’ रहल। ई फिलिम के एगो गीत ‘काशी हिले पटना हिले कलकत्ता हिले ला, तोहरी लचके जब कमरिया ता जिला हिले ला’ आज भी सबके जोबान पर बा। एकरा के बाद ‘बलम परदेसिया’ (1979) आइल। एकर सिल्वर-जुबली भइल। ई फिल्म में राकेश पांडेय और अभिनेत्री पद्मा खन्ना रहली। ई फिल्म के बाद पद्मा खन्ना इंडस्ट्री में अइसन चलनी कि 20 साल ले स्क्रीन पा राज कइली।

शुरू भइल कुणाल सिंह के दौर

भोजपुरी सिनेमा के संघर्ष अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव तक पहुंच गइल रहे और यहां तक लइके जाय वाला केहू और ना बल्कि भोजपुरी क सुपरस्टार कहे जाए वाला अभिनेता कुणाल सिंह रहले। 1984 में उनकर फिल्म ‘गंगा किनारे मोरा गांव’ रिलीज भइल और एकर प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भइल रहे। भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में ई पहिला बेर रहे जब कउनो फिल्म यहां तक पहुंचल रहे। कुणाल सिंह आपन करियर ‘धरती मइया’ से कइले रहले। कुणाल सिंह अपने करियर में करीब 150 से ज्यादा फिलिम में अभिनय कइले बाड़े। कुणाल सिंह के बाद दौर शुरू भइल मनोज तिवारी के। ऊ बॉलीवुड के सितारा अमिताभ बच्चन और मिथुन जइसन स्टार के संगे काम कइले बाड़े।

मनोज तिवारी के पहिला फिल्म ‘ससुरा बड़ा पइसावाला’ रहे, जो सिनेमा के इतिहास में कमाई के मामला में रिकॉर्ड बनवले। वहीं, एगो अउर स्टार के जन्म होत रहे। ऊ रहले निरहुआ दिनेश लाल यादव (Dinesh lal Yadav Nirahua)। उनकर पहिला फिल्म ‘चलत मुसाफिर मोह लियो’ रहल। एकरा बाद अइले पवन सिंह। उनकर पहिला फिलिम ‘रंगली चुनरिया तोहरे नाम की’ रहल। लेकिन, ई लोगन से पहिले रवि किशन के भोजपुरी में एंट्री हो चुकल रहल। 2002 में एंट्री कइला के बाद रवि किशन के सितारा बुलंदी पा रहल ता मनोज अइले और दोनों सितारा खूब राज कइले। फिर दौर शुरू भइल निरहुआ, पवन सिंह अउर खेसारी लाल यादव के।

कहां से विलुप्त होवे लागल भोजपुरी सिनेमा?

जहां भोजपुरी फिल्मन के दौर शुरू हो गईल रहे वहीं, म्यूजिक इंडस्ट्री भी आपन पैर जमावत रहल। 90 क दशक रहल जब भोजपुरी क एल्बम इंडस्ट्री में आवे लागल। एक से बढ़कर एक बिरहा। प्यार लाल यादव और विजय लाल यादव के बिरहा कमाल करत रहे। उ समय भोजुरी के अलग मिठास रहे। फिर बिरहा गायिकी से निरहुआ अइले। मनोज तिवारी गायन क्षेत्र में अइले। ऊ भक्ति गीत गावत रहले और बादे में हिट भइला के बाद फिल्म में अइले फिर चाहे ई निरहुआ मनोज तिवारी, पवन सिंह अउर खेसारी रहले। रवि किशन एक्टिंग के दम पर आइल रहले अउर उनकरा से पहिले भी जे अभिनय में आयल ते एक्टिंग के दम प एंट्री मरले। अब इहां से एगो भोजपुरी में ट्रेंड सेट हो गइल कि जेकरा के गाना गावे आवाला ते भोजपुरी में एक्टर बन सकेला। अब ऊ मिथ बढ़त चल गईल। म्यूजिक एल्बम और म्यूजिक इंडस्ट्री के चलन बढ़त चल गईल। कई कलाकार अइसन रहले जे हिट भइला के खातिर द्विभाषिय शब्द क प्रयोग कइके गाना गावे लागल और अश्लीलता के ठप्पा भी लगा देहले।

आज के संदर्भ में अगर भोजपुरी सिनेमा के हाल देखल जाव ता ना ता ठीक से भोजपुरी के पुरनका गीत-संगीत बचल ना ता भोजपुरी फिल्म के आपन पहचान। भोजपुरी सिनेमा में आज गाना चोली अउर ढोढ़ी में अझुरावल रहेला। फिल्मन के हाल बा कि यूट्यूब खातिर बनावल जाले कब रिलीज हो जाले कब बन जाले कुछ पता ही ना चलेला। अब बात पुरनका दिन वाला ना रहल। भले ही नया कालाकार आवेले जाले लेकिन, इंडस्ट्री पा लगातार अश्लीलता के ठप्पा लगत रहेला। भोजपुरी के 6 दशक हो गईल और ई 6 दशक में भोजपुरी सिनेमा अउर म्यूजिक इंडस्ट्री में काफी कुछ बदलत देखे के मिलल।

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