रवि किशन आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्हें भोजपुरी का बिग बी कहा जाता है। वो अपने करियर में भोजपुरी से लेकर बॉलीवुड और साउथ के साथ अब ओटीटी पर एक्टिंग का लोहा मनवा रहे हैं। रवि आज भले ही सुपरस्टार के तौर पर जाने जाते हैं लेकिन, उनके लिए यहां तक का सफर तय करना आसान नहीं था। वो अक्सर अपनी जिंदगी से जुड़े राज खोलते रहते हैं। हाल ही में एक्टर ने एक इवेंट में अपनी एक्टिंग जर्नी के बारे में फिर से बात की और बताया कि जब वो रामलीला में सीता का रोल प्ले करते थे तो उनके पिताजी क्या कहते थे। इस दौरान उन्होंने ‘लापता लेडीज’ के बारे में भी खुलकर बात की। इस फिल्म को भारत से ऑस्कर नॉमिनेशन के लिए चुना गया है।

दरअसल, रवि किशन हाल ही में साहित्य आज तक में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने बातचीत में काफी कुछ शेयर किया। उन्होंने अपनी शुरुआत के बारे में बताते हुए कहा कि वो एक पुजारी के बेटे हैं। उनके पास कुछ भी नहीं था। वो कहते हैं कि उनके पास महज आध्यात्मिकता और ईमानदारी थी, जो उनके पिता ने सिखाई थी। रवि किशन ने स्ट्रगल के बारे में बात करते हुए कहा कि वो थिएटर करते थे और बचपन में रामलीला में सीता जी का किरदार निभाते थे। इसकी वजह से उनके पिताजी ने उनको काफी पीटा है और वो उनसे कहते थे कि ‘नचनिया बनबे।’

रवि किशन का रहा 34 साल का संघर्ष

पिता के ऐसे बोलने के पीछे की सोच के बारे में बताते हुए रवि किशन ने कहा कि 80-90 के दशक में एक ब्राह्मण होने के नाते वो समझ नहीं पाते थे। रवि किशन अपनी सफलता को लेकर कहते हैं कि ये 34 साल के संघर्ष का नतीजा। संघर्षों के दौरान एक्टर ने तेलुगु से लेकर हिंदी और टीवी में काम किया। वो कहते हैं कि उन्होंने लंबा सफर तय किया है। अब एक्टर अभिनय में नेचुरल और स्वैग का मिश्रण लाना चाहते हैं लेकिन, उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा था। तभी उनकी मुलाकात किरण राव से हुई और वो ‘लापता लेडीज’ के जरिए वह कर पाए जो करना चाहते थे।

10X12 के घर में रहता था- रवि किशन

रवि किशन ने इस बातचीत में आगे अपने संघर्षों के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्होंने काफी संघर्ष किया है और वो रेंगते हुए आगे बढ़े हैं। वो कहते हैं कि जब कोई रवि किशन को देखता है तो वो उसके पीछे का संघर्ष है। रवि बताते हैं कि वो मुंबई भर में पैदल चले हैं और 10X12 के घर में रहते थे, जहां बाथरूम बाहर हुआ करता था। वो जब मुंबई आए थे तो किसी को भी नहीं जानते थे और ना ही उनका कोई गॉडफादर था। उनकी किसी ने भी मदद नहीं की थी। लेकिन, उन्हें खुद पर भरोसा था कि एक दिन उनकी जिंदगी का भी सूर्य उदय होगा। फिर वो मौका आया जब उन्हें उनकी पहली फिल्म ‘पीतांबर’ मिली।

आपने ये खबर तो पढ़ ली। लेकिन, क्या आपको पता है रवि किशन मुंबई शौक से नहीं आए थे बल्कि वो भागकर आए थे। उन्हें उनकी मां ने 500 रुपए देखकर घर से भगा दिया था। अगर वो उस दिन नहीं भागते तो पिता जान से मार देते। ऐसा हम नहीं कहते हैं बल्कि ये खुद रवि किशन के शब्द हैं।