प्रभु का तड़का

कोरोना प्रतिबंधों के बाद नीम बेहोशी की हालत में चल रहा बॉलीवुड जिस ‘राधे’ को संजीवनी बूटी मान रहा है उसे लाने की जिम्मेदारी प्रभु देवा पर है। प्रभु देवा, वही ‘मुक्काला मुक्काला मुकाबला…’ गाने वाले जो डांस डाइरेक्ट थे पर बीते दस सालों से हिंदी फिल्में डाइरेक्ट कर रहे हैं। भाईजान सलमान खान उन पर मेहरबान है इसलिए ‘वांटेड’ और ‘दबंग 3’ के बाद उनके हाथ में ‘राधे’ की बागडोर सौंपी है। प्रभु देवा की खूबी है ‘तड़का’ लगाना यानी बनी हुई फिल्म को फिर से बनाना।

2005 में उन्होंने सलमान की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में तड़का लगाया और तेलुगू फिल्म ‘नुव्वोस्तांते नेनोद्दांतना’ बना डाली। ‘पोक्किरी’ तेलुगू की हिट फिल्म थी। प्रभु ने उसमें तड़का लगाकर तमिल ‘पोक्किरी’ बनाई। फिर डबल तड़का लगाकर ‘पोक्किरी’ को हिंदी में ‘वांटेड’ बना डाला।

उसके बाद हिंदी फिल्म ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ को तेलुगू में ‘शंकरदादा जिंदाबाद’ की शक्ल दे दी> उसके बाद अपनी पहली फिल्म ‘नुव्वोस्तांते नेनोद्दांतना’ को हिंदी में बना डाला ‘रमैया वस्तावैया’ और खुद की तेलुगू फिल्म ‘विक्रमारकुडु’ पर हिंदी में अक्षय कुमार को लेकर ‘राउड़ी राठौड़’ खड़ी कर दी। सवाल तड़के का है। ठीक से लग गया तो वल्ले वल्ले। हालांकि रिलीज के बाद ही पता चलेगा कि ‘राधे’ बिना तड़के वाली है या तड़के वाली।

‘ख्वाहिशों’ का ‘मर्डर’

‘जीना सिर्फ मेरे लिए’ और ‘ख्वाहिश’ जैसी फिल्मों से परदे पर उतरी और ‘मर्डर’ फिल्म से सफलता की सीढ़ियों पर कदम रखने वाली रीमा लांबा उर्फ मल्लिका सेहरावत आजकल कहां है और क्या कर रही हैं, इसमें शायद ही किसी को दिलचस्पी होगी। जिस बॉलीवुड में रोज दर्जन भर नई अभिनेत्रियां प्रवेश कर रही हों, वहां पीछे छूटी अभिनेत्री की याद किसे रहती है।

मल्लिका याद की जाएंगी तो इसलिए कि उनकी रफ्तार बॉलीवुड में बहुत तेज थी और उन्होंने अपने तय किए पैमानों पर ही काम किया। मात्र तीन साल में वह ‘मिथ’ में जैकी चॉन की हीरोइन थीं। सात सालों में अमेरिका में उन्हें लॉस एंजिलिस की आॅनरेरी सिटिजिनशिप मिल गई थी। आठ सालों में वह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ‘ओबामा’ के साथ सेल्फी ले रही थीं और कॉन फिल्मोत्सव के लाल कालीनों पर चल रही थीं।

जितनी तेजी से मल्लिका सफल हुई उतनी ही तेजी से गायब भी। बहुत जल्दी शोहरत और दौलत की चाह अपनी जगह है मगर बॉलीवुड में अनुशासन, कड़ी मेहनत और समर्पण का आज भी कोई विकल्प नहीं है। और अगर यह आपके पास नहीं है, तो फिर फिल्में भी आपके पास नहीं रहती हैं।

वर्माजी की तुलना

रामगोपाल वर्मा बहुत मजेदार इनसान हैं और वह बड़ी बेरहमी से अपनी फिल्मों की चीरफाड़ करते रहते हैं। उनकी ‘रंगीला’ हिट हुई तो उन्होंने कहा कि फिल्म में आमिर खान के बजाय गोविंदा होते तो फिल्म और बढ़िया होती। इतनी सुंदर बात आमिर खान को हजम नहीं हुई और उन्होंने अघोषित रूप से वर्माजी से दूरी बना ली थी।

वर्माजी की ताजा फिल्म गिरोह सरगना दाउद इब्राहीम पर है और वह हमें ट्वीट कर बता रहे हैं कि उनकी फिल्म बताएगी कि बिल गेट्स जैसे दूरदृष्टि वाले दाऊद इब्राहीम ने अपनी गली के गैंग को एक अंतराष्ट्रीय संगठन कैसे बना दिया। वर्माजी पहले ‘डी’ और ‘कंपनी’ बना चुके हैं। दाऊद महिमा इन दोनों फिल्मों में भी नहीं निपटा पाए इसलिए अब ‘डी कंपनी’ लेकर आ रहे हैं। वर्माजी गिरोह सरगनाओं के उत्थान और पतन की कहानियां इकट्ठा करते रहे हैं। इसलिए जब कोई उन्हें अडरवर्ल्ड का अवैतनिक पीआरओ कहता है तो वह सामने वाले की बुद्धि पर तरस खाकर बस मुस्करा कर रह जाते हैं।