महिमा श्री
हर युग में एक प्रभावशाली राजनेता या कहे प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता होते हैं जिनकी अपनी समुदाय पर पकड़ या देशव्यापी लोकप्रियता होती है। उसी वजह से उन पर लिखा जाता रहा है और फिल्म निर्देशकों की भी दृष्टि पड़ती है।
ऐसे ही एक फिल्मकाकर हैं रिचर्ड एटनबरो, उनकी फिल्म गांधी। ‘दि लाइफ ऑफ महात्मा’ लुई फिशर द्वारा गांधी जी की जीवनी है जो बिल्कुल उपन्यास शैली में लिखी गई है। यह जीवनी 1951 में छपी। इसका पहला अध्याय गांधी की हत्या से शुरू होता है। महात्मा गांधी के विचारों और जीवनशैली को आम लोगों तक पहुंचाने का एक प्रयास 1982 में हॉलीवुड में भी किया गया था और उस प्रयास को सिनेमा जगत के तमाम प्रयासों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।इस फिल्म का निर्देशन रिचर्ड एटनबरो ने किया था। फिल्म में गांधी का किरदार हॉलीवुड कलाकार बेन किंग्सले ने निभाया था। ‘गांधी’ फिल्म को ऑस्कर अवॉर्ड भी मिला था।
दक्षिण अफ्रीका में अपने अभियान के बाद गांधी भारत आते हैं। इस फिल्म में गांधी का चंपारण जाना और हर आंदोलन में उनके जीवन से जुड़ी कई रोचक घटनाओं को भी दर्शाया गया है। महात्मा गांधी और कस्तूरबा के रिश्ते हर पहलू को फिल्म में बखूबी दिखाया गया है। कस्तूरबा का किरदार रोहिणी हट्टंगड़ी ने निभाया है।
देश विभाजन, दंगा और अंतत: उनकी हत्या… इस फिल्म को देखकर काफी कम समय में गांधी को समझा जा सकता है यह कहा जा सकता है। एटनबरो ने इस फिल्म को बनाने के लिए महात्मा गांधी के बारे में गहन अध्ययन किया। फिल्म फ्रेम दर फ्रेम महात्मा गांधी द्वारा किए गये भारतीय संग्राम के संघर्षों को दिखाता है। जो इतना यर्थाथवादी है कि दर्शकों को उसी काल खंड में पहुंचा कर उसमें शामिल हो जाने का अनुभूति करवाता है।
इसका प्रीमियर नई दिल्ली में 30 नवंबर 1982 को हुआ था। शूटिंग 26 नवंबर 1980 को शुरू हुई और 10 मई 1981 को समाप्त हुई। बिहार के कोइलवर पुल के पास कुछ दृश्यों को शूटिंग हुई। अंतिम संस्कार दृश्य में 300,000 से अधिक एक्स्ट्रा का इस्तेमाल किया गया था, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार किसी भी फिल्म के लिए सबसे अधिक।
बेन किग्सले के बाद कई ऐसे कलाकार हैं जिन्हें गांधी का किरदार निभाने का मौका मिला।
हे राम (2000) में नसीरुद्दीन शाह
कमल हासन अभिनीत यह फिल्म भारत के विभाजन और नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी की हत्या के इर्द-गिर्द घूमती है। हे राम में नसीरुद्दीन के गांधी रूप को वह सराहना नहीं मिली जो किंग्सले के प्रयास को मिली, लेकिन उन्हें उनके अभिनय और गुजराती लफ्जों को सही ढंग से बोलने के लिए और भी प्रशंसा मिली।
सरदार (1993) में अन्नू कपूर
सरदार वल्लभ भाई पटेल की जिंदगी पर बनी केतन मेहता की इस फिल्म में अन्नू कपूर ने महात्मा गांधी का किरदार निभाया था। इस महान नेता की भूमिका को बड़े पर्दे पर अदा करने के बाद अन्नू कपूर गांधी की डांडी यात्रा पर बनी डॉक्यूड्रामा खार’ में भी उसी रूप में दिखे।
द मेकिंग ऑफ महात्मा गांधी (1996) में रजत कपूर
श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित इस फिल्म में अभिनेता रजत कपूर ने गांधी के किरदार में नजर आए थे। फिल्म में उनके इस किरदार ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिलाया था।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर (2000) में मोहन गोखले
फिल्म भले ही उनके किरदार पर नहीं बनी थी, लेकिन बीआर अांबेडकर पर बनी इस फिल्म में उन्होंने अपने अभिनय से पर्दे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
गांधी, माई फादर (2007) में दर्शन जरीवाला
समीक्षकों द्वारा प्रशंसित इस फिल्म में लोगों ने उनके अभिनय की जमकर सराहना की और उन्हें उनके इस बेहतरीन प्रयास के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
लगे रहो मुन्नाभाई (2006) में दिलीप प्रभावलकर
संजय दत्त अभिनीत यह फिल्म न केवल गांधी जी के ऊपर बनी थी, बल्कि इसमें उनकी शिक्षाओं के बारे में भी बताया गया था। इस कॉमेडी-ड्रामा फिल्म के निर्देशक राजकुमार हिरानी थे। इसमें दिखाया गया है कि आज के जमाने में भी गांधी प्रासंगिक क्यों हैं। इस ब्लॉकबस्टर फिल्म में बेहतरीन अभिनय के लिए दिलीप को सर्वश्रेष्ठ सहयोगी अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
लेजेंड ऑफ भगत सिंह’ (2002), वीर सावरकर (2001), बोस : द फॉरगोटेन हीरो (2004) में सुरेंद्र राजन – बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि बड़े पर्दे पर सुरेंद्र राजन ने ही महात्मा गांधी के किरदार को सबसे अधिक बार निभाया है। भले ही वह बॉलीवुड का एक जाना-माना चेहरा नहीं हैं, लेकिन इन फिल्मों में महात्मा गांधी के रूप में उनके किरदार ने अपना लोहा मनवाया है।