सबरंग डेस्क
अंजलि मुंजाल एक सुंदर पेशेवर नर्तक, नृत्य शिक्षक और नृत्य निर्देशक हैं, जिनके पास लय व संगीत की भावना और मुद्राओं के माध्यम से खुद को व्यक्त करने की रचनात्मक क्षमता है। उनमें गायकों, कलाकारों और अभिनेताओं के साथ एक टीम के हिस्से के रूप में काम करने की बेहतरीन काबिलियत है। वे संगीतमय संगत की लय के साथ शरीर की गतिविधियों में बहुत अच्छा सामंजस्य स्थापित करती हैं। मुंजाल कई बड़े मंचों पर और देश-विदेश में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। उन्हें अब तक कई छात्रवृत्ति व पुरस्कार मिल चुके हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कालेज से दर्शनशास्त्र से स्नातक करने के बाद मुंजाल ने गंधर्व महाविद्यालय से कथक में अलंकार की उपाधि ली। जब वह स्कूल में थीं, तभी से ही उन्होंने बड़े मंचों पर प्रस्तुति देनी शुरू कर दी थी। साल 2010 में दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में नृत्य किया था। राजस्थान में स्थित नीमराना किले में मुंजाल ने 2012, 2014 और 2017 में अपनी शानदार प्रस्तुति दी।
एकल प्रस्तुति की बात करें तो उन्होंने राजप्पा महोत्सव (2019), ऋतु वसंत महोत्सव, उदयपुर (2019) और चक्रधर समारोह, रायगढ़ (2018) में नृत्य प्रस्तुत किया। उन्होंने 2018 में सोपान युवा संगीतज्ञ एवं नृतक महोत्सव के दौरान कथक एकल गायन किया। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आइसीसीआर) की ‘होरिजन’ शृंखला में उन्होंने 2012 से 2018 तक दिल्ली, भोपाल, भुवनेश्वर, गोवा और त्रिवेंद्रम में प्रस्तुति दी। आइसीसीआर की ओर से प्रायोजित कार्यक्रमों में उन्होंने पनामा, दक्षिण अमेरिका, नेपाल, इटली, मोरोक्को, कुवैत आदि में प्रस्तुति दी है।
मुंजाल ने अपनी प्रस्तुतियों से ही नहीं बल्कि नृत्य निर्देशक के रूप में भी खूब ख्याति कमाई। उन्होंने विश्व बैंक के दिवाली समारोह में लगातार तीन साल (2017, 2018 और 2019) नृत्य निर्देशन किया। उन्होंने वैभव (2009), अष्ट नाइका (2010), रूबरू (2012), नव दुर्गा (2014, 2015, 2017), बारामासा (2017) और वासवदत्ता (2019) में नृत्य निर्देशन किया।
मुंजाल को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और दिल्ली के कला संगम से युवा कलाकार छात्रवृत्ति मिल चुकी है। इसके अलावा उन्हें गंधर्व महाविद्यालय से कपिला वात्सायन छात्रवृत्ति और तारा भट्टाचार्याजी छात्रवृत्ति मिली है। मुंजाल को सातवां राजीव गांधी प्रतिभा पुरस्कार भी मिल चुका है। वह कला संगम, दिल्ली में 2015 से 2019 तक नृत्य शिक्षक रही हैं और वर्तमान में दिल्ली में अपना ‘झंकार’ संस्थान चला रही हैं।