साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म ‘शोले’ आज भी लोगों को याद है। इसका एक-एक किरदार आज भी पॉपुलर है। फिर चाहे वो धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन का जय वीरू का रोल हो या फिर हेमा मालिनी का बसंती का। फिल्म में सांभा और ‘गब्बर’ का रोल बतौर विलेन आज भी लोगों के जहन में है। ‘गब्बर’ के किरदार को अमजद खान ने प्ले किया था और इस किरदार में उनके सभी डायलॉग्स कमाल के रहे थे। इसी में से एक ‘अरे ओ सांभा… कितने आदमी थे’ और ‘अब तेरा क्या होगा कालिया?’ जैसे डायलॉग्स रहे हैं। इसमें उनका बोलने का अंदाज ऑरिजनल था। चलिए बताते हैं इसके बारे में…

दरअसल, अमजद खान की आज 83वीं बर्थ एनिवर्सरी है। वो आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं मगर, अपने अभिनय की वजह से आज भी उनकी याद लोगों के जहन में है। उन्हें उनके दमदार अभिनय के लिए जाना जाता रहा था, विलेन की भूमिका में जब भी आते थे तो वो अक्सर हीरो पर भारी पड़ जात थे और अलग छाप छोड़ते थे। ऐसे में उनकी यादगार फिल्म ‘शोले’ में उनके अंदाज और करियर के बारे में बता रहे हैं।

11 साल की उम्र की थी करियर की शुरुआत

अमजद खान 30 के दशक के जाने-माने एक्टर जयंत के बेटे थे। वो पाकिस्तान के पेशावर से ताल्लुक रखते थे। बंटवारे के बाद उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया था। अमजद ने एक्टिंग के गुर अपने पिता से ही सीखे थे। उन्होंने 11 साल की उम्र में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मों काम करना शुरू कर दिया था। उनकी पहली फिल्म ‘नाजनीन’ थी। इसमें उन्होंने पिता के साथ स्क्रीन शेयर किया था। इसके बाद वो राज कपूर की फिल्म ‘दिल्ली दूर नहीं है’ में काम किया। इसमें उनके अपोजिट दमदार एक्टर मोतिलाल थे। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

डैनी थे गब्बर के लिए पहली पसंद

अमजद खान के करियर का ग्राफ तब बढ़ा जब उन्हें ‘शोले’ मिली। इसमें उन्हें गब्बर का रोल मिला। इसके लिए उनका नाम सलीम खान ने सुझाया था। उन्होंने अमजद का एक नाटक देखा था, जिसके बाद वो उनके मुरीद हो गए थे। आपको बता दें कि गब्बर के अमजद से पहले डायरेक्टर रमेश सिप्पी की पहली पसंद डैनी थे। उन दिनों वो इंडस्ट्री के टॉप विलेन थे। लेकिन, वो ‘धर्मात्मा’ की शूटिंग में बिजी थे। इस वजह से ‘शोले’ में काम करने से मना कर दिया था और फिर ‘शोले’ अमजद की झोली में जा गिरी।

गब्बर के लिए कॉपी किया था धोबी का अंदाज

‘शोले’ में अमजद खान को गब्बर के रोल में काफी पसंद किया गया था। उनकी सबसे पॉपुलर डायलॉग ‘अरे ओ सांभा… कितने आदमी थे।’ था। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक अमजद खान जब छोटे थे तो उनके घर एक धोबी आता था, जो कहता था- ‘अरे ओ शांता।’ अब धोबी के इसी अंदाज ने उन्होंने अपने डायलॉग में कॉपी किया था, जो डायरेक्टर रमेश सिप्पी को भी काफी पसंद आया था।

‘कितने आदमी थे’ के लिए 40 रीटेक लिए

‘शोले’ से ही जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है कि अमजद खान अपनी डायलॉग डिलीवरी के लेकर काफी परेशान थे। फिल्म की शूटिंग के पहले दिन उन्हें ‘कितने आदमी थे’ डायलॉग बोलना था, लेकिन वो इसे ठीक से बोल नहीं पा रहे थे। बार-बार रीटेक ले रहे थे। इसके लिए एक्टर ने करीब 40 रीटके लिए थे लेकिन, डायलॉग नहीं बोल पाए थे। इससे वो काफी परेशान हो गए थे। उन्होंने फिल्म की शूटिंग के लिए काफी तैयारियां की थी। बावजूद इसके सारी की सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं। इस बात से आहत होकर वो पूरी रात रोए थे।

51 साल की उम्र में हुई थी मौत

अमजद खान ने अपने करियर में 55 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। उन्होंने विलेन के साथ-साथ कॉमेडी जॉनर की फिल्मों में भी काम किया है। इतना ही नहीं वो 1983 में आई फिल्म ‘चोर पुलिस’ और 1985 की फिल्म ‘अमीर आदमी गरीब आदमी’ का डायरेक्शन भी कर चुके हैं। उनका निधन 1992 में 51 साल की उम्र में हो गया था। उनका निधन हार्ट अटैक की वजह से हुआ था।