साल 1992 में आई अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी की फिल्म ‘खुदा गवाह’ को खूब पसंद किया गया था। फिल्म में बादशाह खान का किरदार निभाकर अमिताभ ने एक अलग पहचान बनाई थी। हालांकि उस वक्त अमिताभ के मन में एक कसक रह गई थी और वो थी जिगरी दोस्त राजीव गांधी की अनुपस्थिति की। इस फिल्म की रिलीज से साल भर पहले ही राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।

लॉन्च पार्टी में फफक कर रो पड़े थे अमिताभ: दिल्ली में ‘खुदा गवाह’ की लॉन्च पार्टी रखी गई। इसमें फिल्म की स्टार कास्ट से लेकर इंडस्ट्री के तमाम दिग्गज सियासतदां और दूसरे लोग मौजूद थे। बातचीत का सिलसिला चल रहा था कि अचानक अमिताभ बच्चन यह बताते हुए फफक कर रोने लगे कि किस तरह राजीव गांधी ने फिल्म की शूटिंग के लिए निजी स्तर पर तमाम प्रयास किए थे।

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से की थी बात: वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राशिद किदवई अपनी किताब ‘नेता अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ में इस किस्से का जिक्र करते हुए लिखते हैं ‘अमिताभ के आंसू नहीं रुक रहे थे। वह बता रहे थे कि किस तरह मई 1991 में अपनी हत्या से ठीक पहले राजीव गांधी ने ‘खुदा गवाह’ के कुछ सीन की शूटिंग के लिए अफगानिस्तान में तमाम इंतजाम करवाए थे। यहां तक कि अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह से खुद बात की थी और अमिताभ की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था।’

‘खुदा गवाह’ के बाद ले लिया था ब्रेक: ‘खुदा गवाह’ दर्शकों को खूब पसंद आई। अमिताभ की भी अलग इमेज बनी। हालांकि इस फिल्म की रिलीज के बाद अमिताभ ने बड़े पर्दे से एक लंबा ब्रेक ले लिया था। ऐसा कहा गया था कि राजीव गांधी की हत्या के बाद वह इमोशनली टूट गए थे और इससे उबरने के लिए फिल्मों से दूरी बनाना ही उचित समझा।

‘हबीबुल्लाह का सिर हाजिर है’: खुदा गवाह की लॉन्च पार्टी में शामिल तमाम मेहमानों में आईएएस वजाहत हबीबुल्लाह भी शामिल थे। पार्टी चल रही थी। तभी अमिताभ की नजर हबीबुल्लाह पर पड़ी। उन्होंने श्रीदेवी से चुटकी लेते हुए कहा कि आप फिल्म में विलेन हबीबुल्लाह का सिर मांग रही थी… लीजिए आपके लिए हबीबुल्लाह का सिर हाजिर है। उनका इशारा 1968 बैच के जम्मू कश्मीर कैडर के अफसर वजाहत हबीबुल्लाह की तरफ था। अमिताभ की बात सुनकर सभी हंस पड़े।