अजय देवगन स्टारर स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म ‘मैदान’ साल 2024 में रिलीज हुई थी, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया। हालांकि, बॉक्स ऑफिस पर यह मूवी कमाई के मामले में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई। फिल्म का निर्देशन अमित रवीन्द्रनाथ शर्मा ने किया था, वहीं इसके निर्माता बोनी कपूर थे और यह उनके एक बेहतरीन प्रोजेक्ट में से एक था, लेकिन जब यह नहीं चली तो वह निराश हो गए। अब हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में इस फिल्म के निर्माण के बारे में बात की है।

निर्माता बोनी कपूर ने बताया है कि ‘मैदान’ का निर्माण 2019 में शुरू हुआ और इसे पूरा होने में लगभग 5 साल लगे। वहीं, इस मूवी को पहले 120 करोड़ रुपये के बजट में बनाने का प्लान था, लेकिन बाद में वह बढ़कर 210 करोड़ रुपये हो गया, जिससे निर्माता को भारी नुकसान हुआ और आखिरकार उन्हें अपना कर्ज चुकाने के लिए पैसे उधार लेने पड़े। चलिए जानते हैं कि उन्होंने इसके बारे में और क्या बताया है।

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मेरा पैसा डूब गया: बोनी

कोमल नाहटा के यूट्यूब चैनल गेम चेंजर्स में बात करते हुए बोनी कपूर ने कहा, “मैदान में मेरा पैसा डूब गया। कोविड-19 महामारी के कारण यह फिल्म चार साल से ज्यादा समय तक अटकी रही। सोचिए, महामारी से ठीक पहले जनवरी 2020 तक फिल्म का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पूरा हो गया था। हमें मार्च के आखिरी हफ्ते से मैचों की शूटिंग करनी थी। सभी अंतरराष्ट्रीय टीमें आ चुकी थीं। विदेशों से लगभग 200 से 250 लोगों का एक दल था, वे अलग-अलग देशों के खिलाड़ी थे, लेकिन मार्च में जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा हुई, सारी शूटिंग रुक गई और हवाई यात्राएं रद्द कर दी गईं।”

खर्च किए 210 करोड़ रुपये

इसके आगे उन्होंने कहा, “किसी को अंदाजा नहीं था कि लॉकडाउन इतने महीनों के लिए बढ़ जाएगा। मैंने यूनिट को तब तक यहीं रखा जब तक देश की आखिरी उड़ान की घोषणा नहीं हो गई। मेरे साथ ऐसा लगभग चार बार हुआ। महामारी के अलावा, उस दौरान आए चक्रवात ने भी मुझे बहुत परेशान किया। मेरा पूरा स्टेडियम सेट तबाह हो गया। मैं ये सब किसे समझाऊं? हमने फिल्म के लिए 120 करोड़ रुपये का बजट तय किया था, लेकिन बाद में हमने लगभग 210 करोड़ रुपये खर्च कर दिए।”

ताज से आता था 800 लोगों का खाना

इंटरव्यू में निर्माता ने आगे बताया, “जब हम मैचों की शूटिंग कर रहे होते थे, उस समय हमारी यूनिट में लगभग 800 लोग होते थे और कोविड के कारण कुछ पाबंदियां थीं। उस दौरान मैंने पूरी यूनिट के लिए ताज से खाना मंगवाया। मुझे हर समय चार एम्बुलेंस और डॉक्टर रखने पड़ते थे। पाबंदियों के कारण हमें सेट पर 150 से ज्यादा लोगों को रखने की इजाजत नहीं थी। दूरी बनाए रखने के लिए हमें साथ में खाना खाने की इजाजत नहीं थी। मुझे सिर्फ खाने के लिए लगभग पांच टेंट लगाने पड़े।”

इसके आगे उन्होंने कहा, “बजट का एक निश्चित हिस्सा पूरी तरह से सेट पर यूनिट को दिए जाने वाले बोतलबंद पानी पर खर्च होता था। इसकी लागत एक निर्माता के लिए एक छोटे बजट की फिल्म बनाने के लिए पर्याप्त थी। हमने एक खास ब्रांड के साथ डील की थी। उन्होंने पानी की सप्लाई की और उसका बिल बहुत ज्यादा था। हमें सभी को डिस्टिल्ड वॉटर देना पड़ा, ताकि वे सुरक्षित महसूस करें। इन सभी एसओपी में मेरा बहुत पैसा खर्च हुआ।मुझे यह सब लगभग साढ़े तीन साल तक करना पड़ा।”

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