‘हिंदुत्व की कठपुतली’ बताने वाले पत्रकार को जेल भिजवाकर आलोचना का शिकार हुए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने कहा है कि जो सत्ता हैं, वे जनसेवा के लिए यहां आए हैं। वे इस क्षेत्र में लोगों की गालियां खाने नहीं आए हैं। शनिवार (22 दिसंबर) शाम इंफाल में डॉक्टरों के एक कार्यक्रम में वह बोले, “चाहे डॉक्टर हों या राजनेता। हम यहां लोगों की सेवा के लिए आए हैं। न कि गालियां सुनने। अगर आप आम आदमी हैं और सोचते हैं कि आप सत्ता में बैठे लोगों को कुछ भी कह सकते हैं, तो ऐसा नहीं है। अगर सत्ता में बैठे किसी व्यक्ति ने कुछ गलत किया है, तो आप कोर्ट जा सकते हैं। लेकिन आपको सार्वजिनक स्तर पर उसे गालियां देने का अधिकार नहीं है।”

सिंह ने आगे बताया, “संविधान के अनुच्छेद 19(1) में अभिव्यक्ति की आजादी जरूर मिलती है, पर अनुच्छेद 19 (2) उसकी मर्यादा और नैतिकता को बरकरार रखने पर बल भी देता है। बकौल सीएम, “देश में कानून नियम भी हैं, जिनका हमें सम्मान करना चाहिए। सत्ता में बैठे लोगों से एक-दो गलतियां हो सकती हैं। न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में मैंने पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया था, पर इसका मतलब यह नहीं कि आप उन्हें सार्वजनिक तौर पर गालियां देंगे।”

मुख्यमंत्री की ये टिप्पणियां उस मामले की सफाई में आई हैं, जिसमें कुछ रोज पहले टीवी पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम को सीएम की आलोचना पर गिरफ्तार कर लिया गया था। 39 वर्षीय पत्रकार को एनएसए के तहत एक साल की सजा सुनाई गई है। दरअसल, वांगखेम ने फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर मणिपुरी सीएम और बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को रानी लक्ष्मीबाई की जयंती मनाने को लेकर घेरा था।

वांगखेम आईएसटीवी में डेस्क एडिटर हैं और उनकी दो छोटी-छोटी बेटियां हैं। वह इससे पहले 21 नवंबर को राष्ट्रद्रोह के आरोपों को लेकर गिरफ्तार किए गए थे, तब भी उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया था। हालांकि, बाद में उन्हें 26 नवंबर को जमानत मिल गई थी, पर दो दिन बाद उन्हें एनएसए के तहत दोबारा हिरासत में ले लिया गया था।