लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) से पहले विपक्षी खेमे में बीजेपी के खिलाफ एक मोर्चे के बात चल रही है। लोकसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम समय बचा है लेकिन क्या इतने समय में विपक्ष बीजेपी के खिलाफ एक मोर्चा बना पाएगा इसपर संदेह है। ऐसा यूं ही नहीं कहा जा रहा है। 12 जून को पटना में होने वाली विपक्षी की मीटिंग स्थगित कर दी गई है। यह मीटिंग बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर आयोजित की जा रही थी। अब यह मीटिंग कब होगी, यह स्पष्ट नहीं है।
मीटिंग क्यों रद्द की गई, सियासी दलों द्वारा इसको लेकर कई बातें की जा रही हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के रोल को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी, जो मीटिंग कैंसिल होने की एक बड़ी वजह है। इसके अलावा मीटिंग का स्थान भी इसके रद्द होने की बड़ी वजह बताया जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस कर्नाटक की जीत के बाद न तो अपनी मुख्य राष्ट्रीय विपक्षी पार्टी की भूमिका को छोड़ना चाहती हैं और न ही यह संदेश देना चाहती है कि नीतीश बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व कर रहे हैं।
अब मीटिंग कहां और कब होगी, इसको लेकर नीतीश कुमार ने अभी तक ज्यादा कुछ नहीं कहा है। नीतीश कुमार ने सोमवार को सिर्फ इतना कहा कि बैठक की अगली तारीख विपक्षी दलों के नेताओं के साथ कांग्रेस की बातचीत के बाद तय की जाएगी। हालांकि इस दौरान नीतीश कुमार ने यह स्पष्ट कर दिया कि संबंधित दलों के “प्रमुखों” को बैठक में भाग लेना होगा और अगर कोई पार्टी अध्यक्ष अपनी जगह अपना प्रतिनिधि भेजते हैं तो यह उचित नहीं होगा।
नीतीश कुमार ने इस दौरान यह भी बताया कि कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं का कहना था कि उनके नेता 12 जून की मीटिंग में हिस्सा नहीं ले पाएंगे और वो अपनी जगह किसी नेता को प्रतिनिधि के तौर पर भेजेंगे। अन्य दलों का कहना था कि यह उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा, “अब मैंने कांग्रेस से कहा है कि वो तारीख संबंधित मुद्दे पर अन्य विपक्षी दलों से बातचीत करे।”
बिहार के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मीटिंग की अगली तारीख सभी दलों की सहमति से तय की जाएगी।
क्या है कांग्रेस की परेशानी?
टॉइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से जानकारी दी गई है कि कांग्रेस ने जेडीयू नेतृत्व को यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर राहुल मीटिंग में शामिल होंने तो स्थान कांग्रेस के द्वारा तय किया जाएगा। मजेदार बात यह है कि टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कोलकाता में नीतीश से मुलाकात के बाद विपक्षी दलों की मीटिंग के लिए पटना स्थान प्रपोज किया था।
कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस पूरे आयोजन के दौरान कांग्रेस सीन से बाहर दिखाई दे रही थी और जेडीयू का पूरे कार्यक्रम पर कब्जा मालूम हो रहा था। जेडीयू के एक नेता ने बताया कि अगर विपक्ष को एक करने के लिए कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर दिखाई देगी तो ममता और केजरीवाल जैसे नेता दूरी बना सकते हैं। कई क्षेत्रीय पार्टियां सिर्फ इसलिए इस प्लेटफॉर्म पर आ रहे हैं क्योंकि नीतीश इस अभियान की अगुवाई कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कांग्रेस सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पार्टी ने जेडीयू यह जानकारी दे दी है कि प्रस्तावित मीटिंग की तारीख राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की उपलब्धता के आधार पर होनी चाहिए। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी दी गई है कि कांग्रेस इस मीटिंग को शिमला में होस्ट करना चाहती है। इसके पीछे पटना और आसपास के राज्यों का बढ़ता तापमान बताया गया है।
जेडीयू के एक नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने 23 जून को मीटिंग का प्रस्ताव दिया है। अगर राहुल गांधी और विपक्ष के ज्यादातर नेता मानते हैं तो इस दिन मीटिंग की जा सकती है। हालांकि दूसरी तरफ अखिलेश प्रसाद सिंह ने ऐसी स्थिति के लिए परोक्ष रूप से जदयू को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं की व्यस्तता की वजह से 23 जून का सुझाव दिया था लेकिन बावजूद इसके फिर भी 12 जून को चुना गया।