कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए, इस पर कांग्रेस आलाकमान गहन चिंतन कर रहा है। राज्य के पूर्व सीएम सिद्धारमैया पहले से ही दिल्ली में हैं, अब डीके शिवकुमार को भी दिल्ली से बुलावा आ गया है। खुद कर्नाटक राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने इसकी जानकारी दी।

उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “आज मेरा जन्मदिन है। मैं अपने परिवार से मिलूंगा। मैं दिल्ली जाऊंगा। मेरे नृत्व में हम सभी 135 विधायकों ने एक आवाज में मुख्यमंत्री चुनने का मुद्दा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ा है। मेरा उद्देश्य कर्नाटक को जीत कर शीर्ष नेतृत्व को देना है, वो मैंने किया।”

किसे मिलेगी कर्नाटक की कुर्सी?

बात साल 2020 की है, कर्नाटक में बीजेपी सत्ता में आई ही थी। येदियुरप्पा ने सीएम पद की कमान संभाली थी, तभी उनपर लिंगायत समुदाय के एक संत ने कुछ नेताओं को कैबिनेट में शामिल करने का दबाव बनाया। यह डिमांड हरिहर मठ के वचनानंद स्वामी द्वारी की गई थी। संत की इस डिमांड पर येदियुरप्पा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा कि संत मुख्यमंत्री को सलाह दे सकते हैं, लेकिन उन्हें धमकी नहीं देनी चाहिए।

अब बात करते हैं बीते रविवार की, कर्नाटक में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार में से किसे चुने इस पर मंथन कर रही है। इस बीच उसी संत ने डीके का समर्थन किया, जिन्होंने येदियुरप्पा पर दबाव बनाया था। वचनानंद स्वामी ने कहा कि वह सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं, बहुत डायनामिक और बहुत प्रोडक्टिव हैं। मैं उनके आगामी दायित्वों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

वचनानंद स्वामी डीके शिवकुमार को उनके जन्मदिन पर बधाई देने के लिए पहुंचे थे। उन्हें साथ पहुंचे एक अन्य लिंगायत संत ने भी सीएम पद के लिए डीके का समर्थन किया। लिंगायत हरिहर मठ के संतों के अलावा, डीके शिवकुमार को वोक्कालिगा समुदाय के मुख्य मठ के प्रमुख पुजारी द्वारा भी सीएम पद के लिए समर्थन दिया गया है। शिवकुमार खुद भी इसी समुदाय से आते हैं।

संतों की तरफ शिवकुमार को मिले समर्थन के बाद कांग्रेस नेतृत्व के लिए स्थिति विकट हो गई है। कर्नाटक में बड़ी जीत के बा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को सिद्धारमैया के अनुभव और कद को देखते हुए उन्हें आसानी से चुनने की उसकी उम्मीदों को करारा झटका दिया है। सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों खेमे के सूत्रों के मुताबिक, कोई भी नेता झुकने को तैयार नहीं है। सीएम पद को लेकर आ रहे 2 साल और तीन साल के पैक्ट के भी नाकारे जाने की खबर है।

सिद्धारमैया और शिवकुमार एक दशक से अधिक समय से प्रतिद्वंद्वियों माने जाते हैं। चुनावों के दौरान कांग्रेस ने इन दोनों नेताओं पर काबू पाने में कामयाबी हासिल की थी। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों नेताओं के सौहार्द के वीडियो पार्टी द्वारा किए गए प्रयासों का ही हिस्सा थे।

डीके शिवकुमार ने एक बार एक प्राइवेट टीवी चैनल को बताया था कि बीजेपी ने जेल से बचने के लिए उन्हें डिप्टी सीएम के पद का लालच देने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने जेल जाना बेहतर समधा। कर्नाटक चुनाव के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान शिवकुमार भावुक हो गए थे। उन्होंने इस दौरान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को कर्नाटक जीतने वाले वादे का भी जिक्र किया।

हालांकि इस सब के बावजूद सिद्धारमैया के पास ही बढ़त मानी जा रही है क्योंकि न सिर्फ कांग्रेस के 135 विधायकों में से 90 का समर्थन उनके पास है, बल्कि एक नेता के रूप में उनकी लोकप्रियता पूरे कर्नाटक में है। उनके साथ न सिर्फ उनके समुदाय के कुरुबा मतदाताओं का समर्थन है बल्कि मुस्लिम और अन्य समुदाय भी उनके साथ हैं।