इन दिनों विपक्ष के लिए ‘इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन’ ईवीएम भी एक मुद्दा है। विपक्षी दलों को लगता है कि ईवीएम में गड़बड़ी करके ही भाजपा लगातार चुनाव जीत रही है। हालांकि चुनाव आयोग बार-बार स्पष्ट कर चुका है कि इस तरह की आशंका निराधार है। बहरहाल जब मतगणना मतपत्र से होती थी तब भी धांधली के आरोप खूब लगते थे। दोबारा मतगणना भी कितनी बार हुई होगी। पराजित उम्मीदवारों ने अदालतों में चुनाव याचिकाएं तो न जाने कितनी बार दायर की होंगी।

समाजवादी आंदोलन के बडे नेता राम मनोहर लोहिया को भी चुनाव याचिका में हार का मुंह देखना पड़ा था। हाई कोर्ट ने कन्नौज लोकसभा के 1967 के चुनाव में मतगणना के दौरान गड़बड़ी की शिकायत को सही पाया था और लोहिया की जगह कांग्रेस के उम्मीदवार एसएन मिश्रा को विजयी घोषित कर दिया था। लोहिया ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1962 में फूलपुर से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लड़ा था। नेहरू को 61.6 फीसद वोट मिले थे। जबकि उनके मुकाबले 28.2 फीसद वोट लेकर लोहिया हार गए थे।

लोहिया पहली बार लोकसभा 1963 में पहुंचे। वह भी फर्रुखाबाद सीट से। जहां 1962 में कांग्रेस के मूलचंद दुबे जीते थे पर उनकी 26 जनवरी 1963 को मृत्यु हो गई थी। उपचुनाव हुआ तो सोशलिस्ट पार्टी से राममनोहर लोहिया ने नामांकन कर दिया। इस उपचुनाव में उन्होंने 58.91 फीसद वोट लेकर शानदार जीत के साथ लोकसभा में प्रवेश पाया। लेकिन 1967 में परिसीमन के बाद कन्नौज नया लोकसभा क्षेत्र बना तो लोहिया ने यहीं से चुनाव लड़ा।

उनके मुकाबले कांग्रेस उम्मीदवार थे वकील एसएन मिश्रा। जो स्वतंत्रता सेनानी पंडित तेजनारायण मिश्र के बेटे थे। इस चुनाव में लोहिया और मिश्रा समेत कुल पांच उम्मीदवार मैदान में थे। इत्र की नगरी कन्नौज लोकसभा के इस पहले चुनाव में कुल 2,94,581 लोगों ने मतदान किया। इसमें से 11,158 मत रद्द कर दिए गए। मतदान 15 से 21 फरवरी के दौरान हुआ और मतगणना 22 व 23 फरवरी को पूरी हुई। परिणाम 24 फरवरी 1967 को लोहिया के पक्ष में घोषित कर दिया गया। उनकी जीत 472 मतों से हुई।

इस चुनाव परिणाम से कांग्रेस के पराजित उम्मीदवार एसएन मिश्र संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने लोहिया के चुनाव को चुनाव याचिका दायर कर सात अप्रैल1967 को इलाहबाद हाई कोर्ट में चुनौती दे दी। उन्होंने आरोप लगाया कि मतगणना में लगे कर्मचारियों ने उन्हें जानबूझकर हराया क्योंकि उनमें से ज्यादातर सोशलिस्ट पार्टी के मजदूर संगठन से जुड़े थे और लोहिया उनके नेता थे। कर्मचारियों की चुनाव से पहले हड़ताल भी हुई थी।

आरोप लगाया गया कि मतगणना के दौरान मिश्रा को मिले मतों की गड्डियों में 50 की जगह ज्यादा मत रखे गए। उनकी गड्डियों को लोहिया की गड्डियों में मिला दिया गया। फार्म 16 और फार्म 20 में प्रविष्टि करने में भी गड़बड़ी की गई। हाई कोर्ट के नोटिस के जवाब में लोहिया ने इन सभी आरोपों को नकार दिया।

चुनाव याचिका लंबित रहने के दौरान ही 12 अक्तूबर 1967 को लोहिया का निधन हो गया। हाई कोर्ट ने जांच कराई तो मिश्रा के गड़बड़ी के आरोप सही पाए गए। तबके चुनाव अधिकारी जिला कलेक्टर ने इसके लिए मतगणना के सुपरवाइजर को दोषी ठहराया। हाई कोर्ट ने पाया कि मतगणना के दौरान 1,367 मतों की गड़बड़ी हुई थी। हाई कोर्ट ने 31 जनवरी 1969 को लोहिया की जगह एसएन मिश्र को ही 895 मतों से विजयी घोषित कर दिया।