Karnataka Election 2023 : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। जहां दिल्ली से लेकर कर्नाटक तक पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है वहीं सबसे ज़्यादा चर्चा में बने हुए नेताओं में पार्टी के कर्नाटक अध्यक्ष डी के शिवकुमार का नाम सबसे आगे है। 60 वर्षीय नेता और पूर्व मंत्री डी के शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में एक साल पहले प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बावजूद 2020 में कर्नाटक पीसीसी प्रमुख नियुक्त किया गया था, उन्होंने पार्टी को सत्ता की स्थिति में लाने के लिए एक लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी है।

मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे, लेकिन क्या है चुनौती?

कभी कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के चहेते समझे जाने वाले शिवकुमार 1999-2004 और 2013-2018 के कांग्रेस कार्यकाल के दौरान मंत्री थे। इस दौरान उनके ऊपर भ्रष्टाचार के बादल मंडराते हुए दिखाई दिए। फिलहाल वह कर्नाटक के सीएम बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं। लेकिन यह दौड़ उनके लिए बहुत आसान नहीं दिखाई देती है। इसकी वजह पूर्व सीएम सिद्धारमैया हैं। राजनीति और प्रशासन के मामले में एक चतुर राजनेता सिद्धारमैया की नज़रें भी सीएम पद पर टिकी हैं।

कर्नाटक चुनाव के दौरान जब भाजपा ने कांग्रेस और सिद्धारमैया जैसे नेताओं को सांप्रदायिक मुद्दों पर जुबानी लड़ाई में घसीटने की कोशिश की तब डी के शिवकुमार ने ने पार्टी नेताओं से लोगों के वास्तविक मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करने को कहा।

डी के शिवकुमार में क्या है खास?

सिद्धारमैया एक अच्छे राजनेता हैं लेकिन रणनीति और पार्टी मेनेजमेंट में डी के शिवकुमार उनसे काफी आगे दिखाई देते हैं। कांग्रेस पार्टी में शिवकुमार के होने ने कई मामलों में काफी कुछ बदला है, चाहे बात रणनीति को या राजनीति की, डी के शिवकुमार ने मजबूती से यह प्रयास किया कि पार्टी राज्य में एक मजबूत परिचय के साथ बरकरार रहे।

भाजपा सरकार में कथित भ्रष्टाचार पर डी के शिवकुमार ने जो रणनीति अपनाई और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के खिलाफ ‘PayCM’ अभियान चलाया उसका काफी प्रभाव प्रदेश की राजनीति पर पड़ा है। माना जाता है कि शिवकुमार सिद्धारमैया को दो सीटों पर चुनाव लड़ने से रोकने और अन्य नेताओं की पसंद के खिलाफ कई उम्मीदवारों को चुनने जैसे फैसलों के केंद्र में थे। सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली अपनी पिछली सरकार के रिकॉर्ड से कांग्रेस को कुछ हद तक मदद मिली थी, जिसे भाजपा सरकार द्वारा बंद की गई लोकलुभावन योजनाओं सहित एक स्वच्छ और जन-समर्थक शासन प्रदान करने के लिए देखा गया था।

मुख्यमंत्री चुनना कांग्रेस के लिए है बड़ा चैलेंज

कांग्रेस के सामने अब डी के शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सीएम तय करने की चुनौती है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने संकेत दिया है कि केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों नेताओं के बीच सीट बंटवारे को लेकर सत्ता साझेदारी समझौते का प्रस्ताव रखा है। फिलहाल दोनों ही नेताओं ने अपने बयानों के जरिए खुशी जताई है और इसे पार्टी के लिए एक बेहद अहम जीत बताया है।