आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है। गठबंधन को आकार दिया जाने लगा है। कौन सी पार्टी किस राज्य में कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इसकी भी घोषणा शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में एक साथ प्रचार करने वाली सपा और कांग्रेस लोकसभा चुनाव में अलग हो चुकी है। लोकसभा चुनाव को लेकर अब ‘साइकिल और हाथी’ एक साथ हो गए हैं। राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से दोनों ने 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वहीं, इस गठबंधन से अलग हो चुकी कांग्रेस ने राज्य की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। अब ये तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे कि किस पार्टी का फैसला ज्यादा सही था। इस बीच यदि वोट प्रतिशत की बात करें तो पिछले 7 साल में कांग्रेस का वोट शेयर आधा हो गया है। ऐसी स्थिति में वह सिर्फ 5 सीट पर ही टक्कर दे सकेगी।

चुनावा आयोग के अनुसार, वर्ष 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 11.6 प्रतिशत वोट मिले थे। राज्य की कुल 403 सीटों में से 28 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत गिरकर 6.25 प्रतिशत हो गया। पार्टी को पूरे राज्य में मात्र 7 सीटों पर ही जीत मिली। 29 सीटों पर जमानत तक जब्त हो गई थी। इस बीच वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में भी कांग्रेस का वोट प्रतिशत उत्तर प्रदेश में 7.5 प्रतिशत रहा। कांग्रेस 67 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन जीत मात्र 2 सीटों पर ही मिली। 11 प्रतिशत वोट के फासले से दूसरे स्थान पर रही 2 सीटें हारी। यदि पूरे आंकड़े को देखें तो साफ तौर पर जाहिर हो रहा है कि पिछले सात वर्षों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत आधा हो गया है।

वोट प्रतिशत के आंकड़ों के आधार पर बात करें तो भले ही कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, लेकिन टक्कर देती सिर्फ 4 से 5 सीटों पर ही दिख रही है। यदि कांग्रेस का ये प्रदर्शन जारी रहा तो राज्य में कांग्रेस तीसरे स्थान पर जा सकती है। हालांकि, इन सब के बीच हाल ही में हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ दिख रहा है।