उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपने बागियों से एक दर्जन से भी अधिक सीट पर कड़ी टक्कर मिल रही है। कुछ बागियों को मनाने के बाद भी 12 से ज्यादा सीटों पर भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ बागी उम्मीदवार चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। हालांकि भाजपा ने अभी तक बागियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा का मानना है कि चुनाव बाद ये बागी सरकार बनाने की स्थिति में समर्थन दे सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी का आंतरिक आकलन कहता है कि बागी पांच से छह सीटों पर काफी मजबूत स्थिति में हैं और वे एक दो सीट जीत भी सकते हैं। इसलिए बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अगर कुछ बागी जीतते हैं तो चुनाव बाद सरकार बनाने की स्थिति में वे समर्थन दे सकते हैं। हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक अभी भी कुछ बागियों के समर्थन में हैं और उन्हें उम्मीद है कि कुछ बागी वापस लौट सकते हैं।
हालांकि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन वापसी की अंतिम तिथि समाप्त हो चुकी है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व के द्वारा मनाए जाने के बाद करीब चार विधानसभा सीटों पर बागियों ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी। लेकिन एक दर्जन सीटों पर बागियों ने अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं ली है। जिन सीटों पर बागियों ने अपनी उम्मीदवार वापस नहीं ली है उसमें डोईवाला, धनोल्टी, देहरादून कैंट, धर्मपुर, कर्णप्रयाग, कोटद्वार, भीमताल, घनसाली, यमुनोत्री, रुद्रपुर, चकराता, किच्छा शामिल है।
वहीं कांग्रेस के भी करीब आठ बागियों ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर नामांकन दाखिल कर लिया था। लेकिन काफी मनाए जाने के बाद दो सीटों ऋषिकेश और सहसपुर से कांग्रेस के बागियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया। हालांकि छह सीटों पर कांग्रेस के बागियों ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों की राह को मुश्किल बना दिया है। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने बागियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है।
उत्तराखंड की 70 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए करीब 632 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है। सबसे ज्यादा प्रत्याशी देहरादून जिले की धर्मपुर विधानसभा सीट पर हैं। इस सीट पर करीब 19 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। राज्य में करीब 82 लाख मतदाता है। जिसमें 40 लाख महिला मतदाताएं हैं।