उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत उधमसिंहनगर की किच्छा विधानसभा क्षेत्र और हरिद्वार जिले की हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वो राज्य के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो एक साथ दो सीटों से लड़ रहे हैं। उन्होंने केवल तीन बार ही इन क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया। उनकी पत्नी, बेटों और बेटी ने यहां उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाली। किच्छा विधानसभा सीट पर हरीश रावत के खिलाफ भाजपा के मौजूदा विधायक राजेश शुक्ल, बसपा के ठाकुर राजेश प्रताप सिंह और समाजवादी पार्टी के संजय सिंह ताल ठोक रहे हैं। वहीं हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट में रावत के खिलाफ भाजपा के मौजूदा विधायक स्वामी यतीश्वरानंद और बसपा के विधायक मुकर्रम अंसारी चुनाव मैदान में डटे हैं। माना जा रहा है कि हरीश रावत अपने परिवार के लिए हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा विधानसभा सीटों में इस बार के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फसल बो रहे हैं। जिसे अगले विधानसभा चुनाव में उनके बेटे और बेटी काट सकें। राजनीति के जानकार जीवन चंद्र पंत कहते हैं कि रावत के किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने से हरिद्वार और उधमसिंहनगर जिलों की 19 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को राजनीतिक फायदा पहुंचेगा। राजनीति के जानकार यह मानते हैं कि राजनीतिक असुरक्षा के कारण हरीश रावत दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं।

उत्तराखंड राज्य बनने पर हरीश रावत को हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के जनता ने नया राजनीतिक जीवन दिया। 2009 के लोकसभा चुनाव में वो यहां से डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे। इस तरह उनका राजनीतिक बनवास खत्म हुआ था। पहले रावत अल्मोड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ते थे। वहां से वो एक बार जीते भी। साल 1991 के बाद जितने भी लोकसभा चुनाव हुए उनमें हरीश रावत और उनकी पत्नी रेणुका रावत को हार का सामना करना पड़ा। 2009 के लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा लोकसभा सीट सुरक्षित हो गई और हरिद्वार लोकसभा सीट सुरक्षित से सामान्य हो गई। ऐसे में रावत ने हरिद्वार को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया। हरिद्वार की जनता ने उन्हें भरपूर प्यार भी दिया। वो 2009 में केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री बने। एक फरवरी 2014 को उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की बागडोर संभाली। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी रेणुका रावत को भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हारया। अब रावत के लिए हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र राजनीति की ऐसी रणभूमि है जो उनका राजनीतिक भविष्य तय करेगी।  हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में हरीश रावत को बसपा के मुकर्रम अंसारी से मुसलमान वोटों के बंटवारे का भय सता रहा है। इस सीट पर अंसारी मतदात अच्छी-खासी संख्या में हैं। मुकर्रम भी अंसारी हैं। मुकर्रम अंसारी मुसलमानों और दलितों के वोट के भरोसे हरीश रावत को पटखनी देने की फिराक में है। वहीं भाजपा के स्वामी यतिश्वरानंद मुसलमान वोटों का बंटवारा करवाने के प्रयास में हैं। जिससे हिंदू वोटों का धुव्रीकरण कराकरअपनी जीत पक्की कर सकें। अंसारी और यतिश्वरानंद की इस राजनीति की वजह से हरीश रावत ने किच्छा विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ना तय किया। हरिद्वार जिले में राहुल गांधी के रोड शो में जिस तरह मुसलमान राहुल और रावत का स्वागत करने सड़कों पर उतरे, उसे देखकर भाजपा हिंदू वोटों के धुव्रीकरण का प्रयास कर रही है।

किच्छा विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार की बागडोर हरीश रावत के बेटे आनंद रावत और विरेंद्र रावत ने संभाल रखी है। वे दोनों रावत की पहली पत्नी के बेटे हैं। रावत की दूसरी पत्नी रेणुका रावत, उनकी बेटी अनुपमा रावत और उनके छोटे भाई जगदीश रावत ने हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की कमान संभाली हुई है। रेणुका और अनुपमा को हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र का बच्चा-बच्चा जानता है। अनुपमा पहले खुद यहां से चुनाव लड़ना चाहती थीं। लेकिन कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेताओं के विरोध के बाद हरीश रावत ने खुद ही वहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका मुकाबला यहां से भाजपा के मौजूदा विधायक और आर्य समाजी संत स्वामी यतीश्वरानंद से है। अनुपमा रावत कहती हैं कि हरिद्वार जिला तो हमारे घर जैसा है। हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विकास के अनगिनत कार्य किए हैं। उन्होंने यहां पुलों और सड़कों का जाल बिछा दिया है। आइटीआइ की स्थापना की है और लालढ़ाग को उपतहसील बनाया है। उन्होंने किसानों की फसलों को जंगली जनवरों से बचाने के लिए एक बड़ी कार्ययोजना बनाई है। हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र के लोग गंगा और सोलानी नदी में आने वाली बाढ़ से जूझते थे। रावत ने गंगा के तटों पर बांध बनवाकर यहां के लोगों को बाढ़ से मुक्ति दिलाई। रावत की सरकार में किए गए विकास कार्यों को गिनवाते हुए अनुपमा कहती हैं, ‘हमें हरिद्वार के लोगों ने गोद ले लिया है। हरीश रावत हरिद्वार की जनता के दत्तक पुत्र हैं।’ अनुपमा हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र में अनुपमा दीदी के नाम से जानी जाती हैं। माना जा रहा है कि अगर रावत यहां से चुनाव जीतते हैं तो, वो बाद में इस सीट से इस्तीफा देकर अनुपमा को चुनाव लड़वाएंगे।

वहीं किच्छा विधानसभा सीट में चुनाव प्रचार की बागडोर संभालने वाले हरीश रावत के बेटे आनंद रावत कहते हैं कि उनके पिता ने किच्छा और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों को इसलिए चुना है कि सीमांत क्षेत्र होने के कारण इन दोनों क्षेत्रों का सही ढंग से विकास नहीं हो पाया है। वो कहते हैं कि उनके पिता ने जातीय या किसी संप्रदाय विशेष के मतदाताओं के कारण इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों को नहीं चुना है बल्कि इन क्षेत्रों का विकास उनका प्रमुख एजंडा है।