लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मध्य उत्तर प्रदेश की जिन 13 सीट पर 13 मई को मतदान होना है, उस क्षेत्र को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रीढ़ माना जाता है। क्योंकि, 17वीं लोकसभा के चुनाव में इन सभी 13 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज कर विपक्ष को बड़ा झटका दिया था। इस बार के लोकसभा चुनाव में पूरा विपक्ष भाजपा के इस गढ़ में सेंधमारी करने की पुरजोर कोशिश में है।
कभी यादव परिवार का गढ़ कही जाने वाली कन्नौज, इटावा, फर्रुखाबाद समेत मिश्रिख, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, धौरहरा, कानपुर, अकबरपुर, उन्नाव, शाहजहांपुर, बहराइच और सीतापुर में इस बार के लोकसभा चुनाव में मुकाबला बेहद दिलचस्प है। दरअसल ये दिलचस्प इसलिए है क्योंकि इन सभी सीटों पर काबिज भाजपा से विपक्ष दलों का इंडिया गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी सीटें हथियाने के गणित पर काम कर रही हैं।
पहले समाजवादी पार्टी का गढ़ कही जाने वाली कन्नौज सीट पर 17वीं लोकसभा के चुनाव में सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को पराजित कर इस सीट को भाजपा के खाते में जोड़ा था। इस बार सुब्रत पाठक का मुकाबला सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से है। बहुजन समाज पार्टी ने इमरान को कन्नौज सीट से चुनावी मैदान में उतार कर मुकाबले को और रोचक बना दिया है।
यादव परिवार के गढ़ रहे इटावा की बात की जाए तो यहां से लगातार दो बार से भाजपा के प्रत्याशी जीत दर्ज करते आ रहे हैं। इस बार प्रो रमाशंकर कठेरिया को भाजपा ने यहां से हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतारा है। सपा ने जितेंद्र दोहरे और बसपा ने सारिका बघेल को यहां से टिकट देकर भाजपा को टक्कर देने की कोशिश की है।
फर्रुखाबाद से भाजपा हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरी है। दो बार इस सीट को जीत चुके मुकेश राजपूत को भाजपा ने मैदान में उतार कर राजपूतों और अन्य पिछड़ी जातियों के सधे-सधाए वोट बैंक को अपने पाले में रखने की रणनीति बनाई है। सपा ने नवल किशोर और बसपा ने क्रान्ति पाण्डेय को टिकट दे कर मुकाबले को रोचक बनाने की कोशिश की है।
मिश्रिख से 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर संसद तक पहुंचे अशोक रावत को पार्टी ने फिर से मैदान में उतारा है। सपा ने संगीता राजवंशी और बसपा ने बीआर अहीरवार को प्रत्याशी बना कर स्थानीय गणित को साधने का प्रयास किया है। मगर, अभी तक विपक्ष के दोनों प्रत्याशी स्थानीय जनता पर उतना असर छोड़ नहीं पाए हैं।
वहीं, हरदोई से चार बार जीत कर संसद पहुंच चुके जयप्रकाश रावत को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। वे 1991, 1996 और 2019 में तीन मर्तबा भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं। जबकि, वर्ष 1999 में उन्होंने लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर यहां से जीत दर्ज की थी। इस बार उनके मुकाबले बसपा ने भीमराव और सपा ने ऊषा वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है।
वहीं, उन्नाव सीट पर भी मुकाबला दिलचस्प है। भाजपा ने इस सीट से लगातार तीसरी बार डा सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज को चुनाव मैदान में उतारा है। उनसे पार्टी आलाकमान ने हैट्रिक की आस लगाई है। उनका मुकाबला बसपा के अशोक पाण्डेय और सपा की अन्नू टंडन से है। उत्तर प्रदेश की 13 सीट पर 13 मई को होने वाले मतदान में यह बात तय है कि संपूर्ण विपक्ष के पास यहां पाने के सिवा खोने को कुछ भी नहीं है। ऐसे में भाजपा के समक्ष इन सभी सीट को जीत कर अपनी साख को बचाए रखने की चुनौती है।