SP-BSP Alliance: उत्तर प्रदेश की राजनीति 360 डिग्री पर घूमते हुए 26 साल पुरानी स्थिति में पहुंच चुकी है। राज्य की दो बड़ी विपक्षी पार्टियां समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने गेस्ट हाउस कांड के 24 साल बाद गठजोड़ कर चुनाव में उतरने का एलान किया है। हालांकि, दोनों ही दलों के बीच अभी सीटवार बंटवारा नहीं हुआ है। यानी कौन सी सीट किसके खाते में जाएगी, अभी तक यह तय नहीं हो सका है। अमेठी और रायबरेली कांग्रेस के लिए छोड़ने के बाद करीब तेरह सीटों पर दोनों दलों के बीच रस्साकसी जारी है। दोनों पार्टियां 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन को आधार मानते हुए सीट बंटवारे पर रणनीति बना रही है। बसपा ने भले ही 2014 में एक भी सीट नहीं जीती हो मगर 44 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर बसपा सपा से आगे रही थी। इनमें से दो (अमेठी और रायबरेली) पर सपा ने उम्मीदवार खड़े नहीं किए थे।

सपा भी 36 सीटों पर बसपा से आगे रही थी। सपा की इन सीटों में वो पांच सीटें भी शामिल हैं जिस पर उसे जीत मिली थी। यानी 2014 के प्रदर्शन के आधार पर सपा-बसपा के बीच क्रमश: 36 और 42 सीटों (कांग्रेस के लिए दो छोड़कर) का आधार बनता है बावजूद इसके दोनों दलों में 38-38 सीटों पर सहमति बनी है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले चुनावों में छह सीटों पर सपा-बसपा कांग्रेस से भी पीछे रही थीं। इनमें सहारनपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, बाराबंकी और कुशीनगर शामिल है। हालांकि, यहां जीत भाजपा उम्मीदवारों की हुई थी। इन सभी सीटों पर कांग्रेस नंबर दो और बसपा तीसरे नंबर पर रही थी। यानी इन सीटों पर भाजपा के खिलाफ त्रिकोणात्मक संघर्ष था।

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इनके अलावा लोकसभा की आठ सीटें ऐसी थीं जहां बसपा और सपा को मिले वोट का अंतर 10 हजार से भी कम था। इन सीटों में सलेमपुर, हरदोई, सुल्तानपुर, भदोही, अलीगढ़, धौरहरा, बाराबंकी और उन्नाव शामिल है। इनमें से सिर्फ उन्नाव पर ही सपा बसपा से आगे ती जबकि सभी पर बसपा उम्मीदवार सपा से आगे रहे थे। इस तरह कुल तेरह सीटें (बाराबंकी दोनों लिस्ट में) ऐसी हैं जिस पर सपा-बसपा के बीच रस्साकसी जारी है।

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इनके अलावा मथुरा सीट पर पिछले चुनाव में रालोद नंबर दो पर रही थी। वाराणसी में आप के अरविंद केजरीवाल नंबर दो पर रहे थे और कैराना उप चुनाव में रालोद की जीत हुई थी। इन सीटों पर गठबंधन जिताऊ उम्मीदवार की तलाश में है। हालांकि, गठबंधन के तहत मथुरा और मुजफ्फरनगर रालोद के खाते में जा सकती है जबकि कैराना फिर से सपा या बसपा के खाते में आ सकती है। वाराणसी में भी मोदी के खिलाफ जिताऊ उम्मीदवार खड़ा करने में भी इस गठबंधन को बड़ी परेशानी हो सकती है। बता दें कि मायावती और अखिलेश के साझा प्रेस कॉन्प्रेन्स में हुई घोषणा के मुताबिक सपा और बसपा राज्य की 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी जबकि दो सीटें (अमेठी और रायबरेली) कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं। दो सीटें सहयोगी दल (रालोद) के लिए रखी गई हैं।