उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हो जाने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा अब सीटों पर उलझनें सुलझाने में जुटी हैं। सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल के साथ वाड्रा की बातचीत के बाद रायबरेली और अमेठी संसदीय क्षेत्र की सीटों को लेकर फार्मूले के आसार बने हैं। दोनों जगहों की 10 में से छह सीटें कांग्रेस लड़ेगी और चार पर सपा के उम्मीदवार। एक फार्मूला कांग्रेस के टिकट पर सपा नेताओं को लड़ाने का था। लेकिन इस पर दोनों ही पार्टियों के नेता तैयार नहीं हुए।
फार्मूले को लेकर औपचारिक एलान अभी बाकी है। हालांकि, कांग्रेस के महासचिव गुलाम नबी आजाद के अनुसार, ‘अब कोई पेच नहीं है। सब कुछ सुलझा लिया गया है। जल्द ही, उम्मीदवारों की सूची से तस्वीर साफ हो जाएगी।’ खींचतान की मूल बनी अमेठी और गौरीगंज सीटों के आखिकार कांग्रेस के खाते में जाने पर सहमति के आसार बने हैं।
2012 में इस सीट से सपा के उम्मीदवार गायत्री प्रसाद प्रजापति ने जीत हासिल की थी। वे अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे प्रजापति के नाम का एलान सपा ने तब ही कर दिया था, जब कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं हुआ था। दूसरी ओर, कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से अमिता सिंह लड़ने की तैयारी कर रही थीं। वे संजय सिंह की पत्नी हैं, जो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हैं। गठबंधन के बाद अमिता सिंह ने यहां से निर्दलीय लड़ने का एलान कर दिया था। इस असहज हालात के मद्देनजर दोनों पार्टियों के नेताओं में सीटों पर बातचीत से हल निकालने की कोशिश चल रही थी।
रायबरेली और अमेठी में कुल 10 विधानसभा सीटें हैं। पिछली बार इनमें से आठ सीटें सपा ने और दो कांग्रेस ने जीती थीं। गठबंधन की बात चल रही थी, तब दोनों दलों ने पांच-पांच सीटें अपने-अपने हिस्से में मानकर तैयारी शुरू कर दी थी। लेकिन अमेठी को लेकर मामला फंसने लगा। अब कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व अमेठी को लेकर अड़ गया है, जिसके बाद प्रियंका गांधी को एक बार फिर मैदान में उतरना पड़ा। आसार इस बात के हैं कि गायत्री प्रसाद प्रजापति को सपा कहीं और ले जाएगी। इन सीटों पर चौथे और पांचवें चरण में मतदान होगा।
वर्ष 2012 में रायबरेली में कांग्रेस सभी पांच विधानसभा सीटें हार गई थी। सपा ने हरचंदरपुर, सरेनी, बछरावन और ऊंचाहार की सीटें जीतीं। रायबरेली सदर की सीट पीस पार्टी के अखिलेश सिंह के पास गई। दूसरी ओर, अमेठी की तीन सीटें कांग्रेस हार गई थी- गौरीगंज, अमेठी और सालौन। यहां की जगदीशपुर और तिलोई सीटें उसने जीती थीं। कांग्रेस के तिलोई के तब के उम्मीदवार मोहम्मद मुसलिम इस बार बसपा से लड़ रहे हैं।
