भारतीय जनता पार्टी ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश से 51 उम्मीदवारों की घोषणा की। बीजेपी की पहली लिस्ट में कैसरगंज से सांसद बृजभूषण शरण सिंह का नाम नहीं है। बृजभूषण सिंह पिछले 2 साल से काफी विवादों में हैं। अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि अगर बीजेपी बृजभूषण को कैसरगंज से प्रत्याशी नहीं बनाती है तो किसे बनाएगी?

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि बृजभूषण का टिकट कटा है। इसके पहले भी उनका टिकट एक बार बीजेपी काट चुकी है। बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी के कद्दावर नेता है। 1991 में पहली बार गोंडा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे। गोंडा में उनकी मनकापुर राजघराने से अदावत जग जाहिर है। 1991 में बृजभूषण शरण सिंह ने मनकापुर राजघराने के राजा आनंद सिंह को हराया था।

1996 में भी कटा था टिकट

1991 में बृजभूषण शरण सिंह पहली बार संसद चले गए। उसके बाद 1993 में उनके ऊपर संकट के बदले मंडराने लगे। बृजभूषण को टाडा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर आरोप लगा कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों को जेजे हॉस्पिटल में ब्लास्ट करवाने में मदद उपलब्ध कराई थी। इसके बाद बृजभूषण शरण सिंह जेल में गए और 1996 के लोकसभा चुनाव में पार्टी में उनका टिकट काट दिया। लेकिन बृजभूषण का दबदबा कम नहीं हुआ और उनकी पत्नी केतकी सिंह को बीजेपी का टिकट मिला। केतकी सिंह ने चुनाव प्रचार किया और उन्होंने मनकापुर राजघराने के राजा आनंद सिंह को 77 हजार वोटों से हरा दिया।

बेटे या पत्नी को भी मिल सकता टिकट

अब जब बृजभूषण शरण सिंह को भाजपा ने पहली लिस्ट में टिकट नहीं दिया है तो माना जा रहा है कि उनका टिकट पार्टी काट भी सकती है। हालांकि ऐसी स्थिति में बीजेपी उनकी पत्नी को एक बार फिर से टिकट दे सकती है, ताकि बगावत को रोका जा सके। इसके पहले बृजभूषण शरण सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि 2014 में वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे और अपने बेटे को लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे। इसके संबंध में उन्होंने अमित शाह से बात की थी। लेकिन अमित शाह ने उनसे कहा था कि अभी आप चुनाव लड़िए, बेटे को विधायकी लड़ाएंगे। बृजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण सिंह गोंडा विधानसभा सीट से विधायक हैं।

6 बार के सांसद हैं बृजभूषण

बृजभूषण शरण सिंह अब तक सात बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं और छह बार जीत चुके हैं। 1991 में उन्होंने गोंडा सीट से जीत दर्ज की लेकिन 1998 में उन्हें हर का सामना करना पड़ा। 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने गोंडा सीट से जीत दर्ज की। 2004 में बीजेपी ने उन्हें बलरामपुर से टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज की। 2008 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर क्रॉस वोटिंग के कारण उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया। 2009 का लोकसभा चुनाव उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर कैसरगंज लोकसभा सीट से लड़ा और जीत हासिल की। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वह फिर से बीजेपी में शामिल हो गए। बृजभूषण ने कैसरगंज से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2019 में भी वह कैसरगंज से ही सांसद चुने गए।