शाहजहांपुर

उत्तर प्रदेश में सन 1952 में विधानसभा के प्रथम बार चुनाव हुए, लेकिन तिलहर विधानसभा सीट ऐसी अभिशप्त हुई की आज तक यहां के विधायक को सत्ता का सुख नसीब नहीं हो सका और इस कारण समुचित विकास में बाधा भी बनी रही। इस चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई। कांग्रेस ने यहां से दिग्गज नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला भाजपा के रोशनलाल वर्मा तथा बसपा के अवधेश वर्मा से है। जितिन प्रसाद के मैदान में आने से मुकाबला रोचक हो गया है।

पहले विधायक भगवान सहाय

प्रदेश में तिलहर विधानसभा की राजनीति को यदि प्रारम्भ से देखें तो सन 1952 में तिलहर निवासी भगवान सहाय पहले विधायक चुने गए। सन 1957 में बालकराम ने जीत हासिल की तो सन 1962 में पुन: भगवान सहाय इस सीट पर काबिज हुए। सन 1967 में सयुंक्त सोशलिस्ट पार्टी से रूम सिंह ने विजय प्राप्त की। सन 1969 में बाबू सत्यपाल सिंह ने जनसंघ से राजनीति में कदम रखा और राजनीति के दांव पेच से अनभिज्ञ सत्यपाल सिंह यादव ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सुरेंद्र बिक्रम सिंह से मात खाई।

सत्यपाल सिंह यादव का डंका

सत्यपाल सिंह यादव सन 74 में पुन: चुनाव मैदान में आ डटे और प्रतिद्वंदी सुरेंद्र विक्रम सिंह को हराकर पहली बार विधायक बने। बाबूजी ने क्षेत्र में ऐसी पकड़ बनाई कि वह लगातार सन 1977 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से, सन 1980 में जनता पार्टी से, सन 1985 में लोकदल से विधायक बने। 20 फरवरी 1987 से दिसंबर 1989 तक बाबूजी नेता प्रतिपक्ष भी रहे। सन 1989 में जनतादल से उम्मीदवार रहे सत्यपाल सिंह ने लोकसभा और विधानसभा दोनों सीटों पर चुनाव लड़ा। वह सांसद सीट जीते किंतु कांग्रेस के सुरेंद्र विक्रम सिंह ने विधायक सीट पर उन्हें पराजित कर दिया। सन 1991 के चुनाव में ने सत्यपाल सिंह ने तिलहर सीट पर विधानसभा तथा शाहजहांपुर से लोकसभा सीट दोनों पर विजय प्राप्त कर ली। विधायकी से इस्तीफा दे दिया और केंद्रीय राज्यमंत्री के ओहदे पर पहुंच गए। 1991 में ही हुए उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव ने तिलहर व् जसवंतनगर दो सीटों पर चुनाव लड़ा और दोनों सीटें जीत ली। तिलहर की जनता ने मुलायम सिंह यादव को बड़ी ही उम्मीदों से जिताया, लेकिन उन्होंने तिलहर की जनता की भावनाओं को ठुकराकर जसवंतनगर को अपनाया।

पांच बार परिसीमन

सन 1992 से 2007 तक चार चुनावों में कांग्रेस पार्टी के बीरेंद्र प्रताप सिंह मुन्ना का तिलहर सीट पर कब्जा रहा। 2007 में सत्यपाल सिंह के बड़े बेटे राजेश यादव ने सपा टिकट पर तिलहर सीट पर जीत हासिल की। 2012 में परिसीमन बदला और निगोही क्षेत्र तिलहर सीट में मिला दिया गया, जबकि कटरा खुदागंज मिलाकर कटरा विधानसभा क्षेत्र बनाया गया।  इस बार राजेश यादव ने कटरा क्षेत्र से सपा से चुनाव लड़कर बसपा के राजीव कश्यप को मात दी, जबकि निगोही से बसपा से विधायक रह चुके रोशनलाल वर्मा ने तिलहर सीट पर पुन: सपा के अनवर अली को हराया। सन 1952 से अब तक क्षेत्र का पांच बार परिसीमन हो चुका है। विडम्बना यह रही की सन 1967 के बाद से 2016 तक यहां जो भी विधायक चुना गया, वह प्रदेश में बनी सरकार में विधायक प्रतिपक्ष ही रहा। इस कारण क्षेत्र का समुचित विकास नहीं हो सका।