नोएडा विधानसभा सीट पर मतदान 11 फरवरी को होना है। पिछले एक हफ्ते से जारी चुनाव प्रचार की गहमागहमी गुरुवार को थम जाएगी। प्रचार की दौड़ में एक तरफ जहां भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में करीब आधा दर्जन बड़े नेताओं व केंद्रीय मंत्रियों ने जनसभाओं को संबोधित कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया है। वहीं सपा कांग्रेस गठजोड़ और बसपा उम्मीदवारों को नामचीन या स्टार प्रचारकों की कमी झेलनी पड़ी है। आलम यह है कि भाजपा के मुकाबले सपा कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में कोई भी बड़ा नेता प्रचार करने नहीं पहुंचा। वहीं बसपा उम्मीदवार के लिए नसीमुद्दीन सिद्दिकी ने जनसभाएं की हैं। ब्राह्मण बहुल नोएडा सीट पर बसपा उम्मीदवार के समर्थन में बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश मिश्रा की जनसभा का कार्यक्रम तय था। अलबत्ता उनकी तबीयत खराब हो जाने की वजह से कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा है।

नोएडा विधानसभा सीट पर 5.19 लाख से ज्याद मतदाता हैं। जहां भाजपा ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बसपा ने रविकांत मिश्रा और सपा कांग्रेस गठबंधन ने सुनील चौधरी पर दांव खेला है। मतदाताओं को लुभाने के लिए पिछले 10-12 दिनों से प्रमुख राजनीतिक दलों समेत निर्दलीय उम्मीदवार भी गांवों और सेक्टरों की धूल फांक रहे हैं। अलबत्ता सपा व कांग्रेस गठबंधन से चुनाव लड़ रहे सुनील चौधरी ना केवल सपा बल्कि कांग्रेस तक से किसी बड़े नेता को अपने पक्ष में प्रचार के लिए नहीं लाने में कामयाब रहे। नोएडा आने पर मुख्यमंत्री पद चले जाने के अटकलों के चलते पहले यूपी के सर्वाधिक विकसित महानगर में डिंपल या प्रियंका में से किसी एक के आने की पूरी उम्मीद थी। अलबत्ता दोनों में से किसी भी दल के एक भी बड़े नेता के नहीं पहुंचने से सपा खेमे के कार्यकर्ताओं में कुछ निराशा जरूर है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चेहरे पर प्रत्याशी समेत कार्यकर्ता जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं। बसपा भी स्टार प्रचारकों की दौड़ में पिछड़ी रही। नसीमुद्दीन सिद्दिकी के अलावा अन्य कोई भी बड़ा नेता प्रचार के लिए यहां नहीं आया। बसपा उम्मीदवार भी पार्टी के परंपरागत मतदाताओं के अलावा ज्यादातर ब्राह्मण मतदाताओं के पक्ष में होने को जीत का आधार बता रहे हैं।