दीपक रस्तोगी

उत्तर प्रदेश की 403 में से 170 सीटों पर वोटों में तीन फीसद का रुझान उम्मीदवारों के भाग्य बदल देगा। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन होने के कारण इन सीटों पर समीकरण तेजी से बदले हैं। गठबंधन के फार्मूले में पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अधिकांश ऐसी सीटों को लेकर मंथन किया गया। इन सीटों पर दोनों पार्टियों के नेता एक-दूसरे के उम्मीदवारों को वोट स्थानांतरित कराने की रणनीति में जुट गए हैं। इन इलाकों में 41 सीटें ऐसी हैं, जहां जीत और हार में एक हजार से कम का अंतर रहा।

बड़ा बदलाव : तिकोना मुकाबल

’गठबंधन हो जाने के बाद राज्य में विधानसभा चुनाव काचौतरफा मुकाबला (सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस)अब त्रिकोणीय हो गया है। इससे सीटों पर चुनावी गणित
में जो बदलाव आएगा, उसपर दलों की निगाह है। ’2014 के लोकसभा चुनाव और 2012 के विधानसभा  चुनाव में मुकाबला चौतरफा था।  ’2014 में भाजपा को मोदी लहर का फायदा मिला था और उसे 42.7 फीसद वोट मिले थे। लोकसभा की 80 में से 71 सीटें उसे मिली थीं। ’विधानसभा के हिसाब से 403 में से 328 पर उसे बढ़त मिली थी। तब सपा को 22.7 फीसद वोट मिले थे और कांग्रेस को 7.5 फीसद।  ’2012 के चुनाव में सपा ने 29.3 फीसद वोट पाकर सीटे जीती थीं। कांग्रेस ने 11.7 फीसद के साथ 28 सीटें पाईं। भाजपा को 15 फीसद वोट और 47 सीटें मिली थीं।

दोहराने का दांव : 2014

’भाजपा की कोशिश है कि 2014 के
समीकरणों को भुना लिया जाए।
’2014 के चुनाव में हिंदुत्व की राजनीति का
प्रदेश में उभार हुआ। वह ध्रुवीकरण कुछ हद तक विधानसभा
चुनाव में प्रभावी माना जा रहा है।
’इसके तहत भाजपा ने पहले ही मुजफ्फरनगर के चार
आरोपियों को टिकट दे रखा है।

दोहराने का दांव : 1993

गठबंधन के शरीक दल और बसपा ने भी मुसलमानों को साधने की कोशिश की है। ’ऐसे में हालात 1993 के चुनाव जैसे हो गए  हैं, जब बसपा और सपा ने हाथ मिलाया था।  ’बसपा ने तब 11.12 फीसद वोट के साथ 67  सीटें और सपा को 19.94 फीसद वोट के साथ 109 सीटें और भाजपा 33.31 फीसद वोट  के साथ 174 सीटें मिली थीं। ’1996 में कांग्रेस-बसपा का ऐसा गठबंधन कामयाब नहीं हो पाया था। बसपा ने 19.64 के साथ 67 सीटें और कांग्रेस ने 8.35 वोट के साथ 33 सीटें जीती थी।

एक हजार से कम अंतर वाली 41 सीटें

बहेड़ी, सिकंदराबाद, फर्रुखाबाद, पट्टी, बालामऊ, गाजीपुर, थाना भवन, महोबा, बेहट, करछना, मथुरा, जलालाबाद, गौरीगंज, इलाहाबाद, बिठूर, कोइल, धामपुर, फतेहाबाद, घाटमपुर, बैरिया, कटरा, मेजा, धौरहरा, रुदौली, सिंकदरा, फूलपुर, उतरौला, जौनपुर, महरोनी, अकबरपुर रनिया, बबेरू, चायल, मधुबन, कांठ, स्याना, मिश्रिख, बिलारी, बख्शी का तालाब, डुमरियागंज, फिरोजाबाद और बीकापुर।
एक हजार से कम अंतर वाली 41 सीटें
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फीसद वोट के साथ 67 सीटेंं,व कांग्रेस को
8.35 फीसद वोटों के साथ 33 सीटें मिली थीं।