उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित विधानसभा सीट नोएडा पर इस बार कांटे की टक्कर होने के आसार हैं, जिसमें बसपा को छोड़कर अन्य दल जातिगत समीकरणों और संभावित गठबंधन तय होने के बाद प्रत्याशी तय करने की जुगत में हैं। कई महीनों पहले सपा की तरफ से घोषित प्रत्याशी अशोक चौहान ने जन संपर्क और लोगों के बीच जाकर अपनी पकड़ काफी मजबूत कर ली है। वहीं, अखिलेश यादव की सूची में नोएडा प्रत्याशी बताए जा रहे सुनील चौधरी ने भी हालिया घटनाक्रम के बाद जन संपर्क करना शुरू कर दिया है। भाजपा में टिकट दावेदारों की सूची सबसे लंबी होना पार्टी नेताओं के लिए सिरदर्द बना हुआ है। दो दिन पहले जेवर से संभावित प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले धीरेंद्र सिंह का विरोध वहां से टिकट की दावेदारी कर रहे पुराने नेताओं ने खुलकर करना शुरू कर दिया है। ऐसे में किसी विवाद से बचने के लिए पार्टी नेतृत्व मौजूदा विधायक विमला बाथम को टिकट दे सकता है। माना जा रहा है कि मौजूदा राजनीतिक माहौल में भले ही भाजपा, बसपा और सपा के मुकाबले कांग्रेस नोएडा सीट पर कमजोर है, लेकिन परंपरागत मतदाता अपनी जीत के अलावा अन्य दलों की हार-जीत में अहम किरदार निभा सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस भी अन्य राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के नाम तय होने के बाद पत्ते खोलना चाह रही है।
दूसरी तरफ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भले ही सुप्रीम कोर्ट ने जाति व धर्म के नाम पर चुनाव लड़ने और वोट मांगने को असंवैधानिक करार दिया हो, लेकिन सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण के आधार पर प्रत्याशी तय करना चाह रहे हैं। नोएडा सीट पर सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं। चूंकि बसपा की तरफ से यहां ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा गया है, ऐसे में अन्य दल ब्राह्मण की जगह अन्य किसी जाति को टिकट देना चाहेंगे। सपा की तरफ से घोषित प्रत्याशी अशोक चौहान ठाकुर बिरादरी के हैं। अमूमन ठाकुरों का भाजपा की तरफ ही झुकाव रहा है, लेकिन चौहान की वजह से उनकी बिरादरी के काफी वोट सपा के पक्ष में पहुंचने के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं अखिलेश गुट के सुनील चौधरी गुर्जर बिरादरी के हैं। सुनील की शहर में मिलनसार और अच्छी छवि है। भाजपा की मौजूदा विधायक विमला बाथम वैश्य हैं।
सूत्रों के मुताबिक, शहर में भले ही राजनीतिक दल विकास के नाम पर प्रत्याशी उतारने का दावा कर रहे हैं, लेकिन चुनावी जंग में सबसे महत्त्वपूर्ण बिंदु को जातीय कसौटी पर ही घिसा जा रहा है। नोएडा सीट के करीब 5.19 लाख मतदाताओं में सर्वाधिक करीब 1.50 लाख ब्राह्मण हैं, जबकि इतने ही वैश्य व अन्य जातियों के मतदाता हैं। यहां करीब 40-40 हजार मुसलमान और दलित भी हैं। शहर में एक बड़ा तबका पंजाबी मतदाताओं का भी है, जिन्हें भाजपा और सपा, दोनों अपनी तरफ खींचना चाह रहे हैं।

