उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 का आगाज हो चुका है, कल (11 फरवरी 2017) को पहले चरण के चुनाव होने हैं। चुनाव को लेकर सभी चुनावी दलों ने अपनी कमर कस ली है और प्रदेश में प्रचार अभियान भी जोरो पर हैं। प्रदेश में सात चरणों में चुनाव होंगे और उसमें पहले चरण के चुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने हैं। इस चरण में प्रदेश के 15 जिलों में चुनाव होंगे और इन जिलों की 73 विधानसभा सीटों के 839 उम्मीदवारों की किस्मत वोटिंग मशीन में बंद हो जाएगी।

यूपी में पहले चरण में 98 राजनीतिक दल मैदान में होंगे। इनमें पांच राष्ट्रीय दल, आठ क्षेत्रीय दल, 85 गैर-मान्यता प्राप्त दल और 293 निर्दलीय अपनी किस्मत आजमाएंगे। पहले चरण में मैदान में उतर रहे प्रत्याशियों में 302 (36 प्रतिशत) ने खुद को करोड़पति बताया है। पहले चरण में उतर रहे प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 2.81 करोड़ रुपये है। वहीं जिन 836 उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण किया गया उनमें से 168 ( 20 प्रतिशत) पर आपराधिक मामले हैं। इनमें से 143 (17 प्रतिशत) पर गंभीर आपराधिक मामले हैं। पहले चरण में मतदाताओं की संख्या के लिहाज से गाजियाबाद का साहिबाबाद सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र है, वहीं एटा का जलेसर सबसे छोटा क्षेत्र है। आगरा दक्षिण सीट से सबसे ज्यादा 26 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं हस्तिनापुर से सबसे कम छह प्रत्याशी मैदान में हैं।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साल 2012 में 37 फीसदी आबादी शहरी थी और 18 फीसदी आबादी दलितों की थी। वहीं इस क्षेत्र में 22 फीसदी अल्पसंख्यक निवास करते थे और यहां साक्षरता प्रतिशत 60 फीसदी था।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो बीजेपी ने 11 सीटें और बीएसपी ने 24 सीटें जीती थी, जबकि सपा के हाथ में 24 सीटें और आरएलडी के हाथ में 9 सीटें आई थीं। वहीं कांग्रेस 5 सीटों पर काबिज होने में सफल हुई थी।

 

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पहले चरण में जिन उम्मीदवारों ने अपने हलफनामे में आपराधिक मामले चलने की जानकारी दी है उनमें से सबसे ज्यादा उम्मीदवार भाजपा के हैं। उसके बाद बसपा और सपा का स्थान है। सबसे कम आपराधिक मामले वाले उम्मीदवार निर्दलीय हैं।

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यूपी में पहले चरण में चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा 5वीं से 12वीं पास हैं। उसके बाद स्थान है स्नातक या उससे अधिक तक की शिक्षा प्राप्त उम्मीदवारों की। वहीं कुछ उम्मीदवारों ने खुद को केवल साक्षर बताया है तो 15 ने खुद को निरक्षर।

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शुरुआत भाजपा ने की लेकिन उसके बाद कांग्रेस और सपा ने भी बुजुर्ग नेताओं को किनारे लगाने की परंपरा का पालन किया। देश की आबादी में युवाओं के ज्यादा होने का सीधा प्रभाव टिकट बंटवारे पर भी दिख रहा है। यूपी में पहले चरण में 69 प्रतिशत प्रत्याशी 50 वर्ष या उससे कम उम्र के हैं।

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यूपी में सात चरणों में चुनाव किया जाना है और पहला चरण 11 फरवरी, दूसरा चरण 15 फरवरी, तीसरा चरण 19 फरवरी, चौथा चरण 23 फरवरी, पांचवा चरण 27 फरवरी, छठा चरण चार मार्च, सातवां चरण 8 मार्च को होगा।