समाजवार्टी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने रविवार को जोर देकर कहा कि वे अब भी पार्टी प्रमुख हैं। उन्होंने पार्टी के उस सम्मेलन की वैधता पर सवाल खड़ा किया जिसमें उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था और उनके बेटे अखिलेश को उनकी जगह अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उन्होंने दावा किया कि उनके भाई रामगोपाल यादव द्वारा एक जनवरी को लखनऊ में बुलाया गया विशेष राष्ट्रीय सम्मेलन अवैध था क्योंकि पार्टी अध्यक्ष के तौर पर रामगोपाल को उन्होंने पहले ही पार्टी से निकाल दिया था। समाजवादी पार्टी पर नियंत्रण को लेकर अखिलेश-रामगोपाल खेमे से निपट रहे मुलायम ने यहां संवाददाताओं को लिखित बयान पढ़कर बताया, ‘मैं समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं और अखिलेश यादव केवल मुख्यमंत्री हैं। शिवपाल यादव अब भी समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हैं।’ उन्होंने जोर दिया कि रामगोपाल यादव को 30 दिसंबर 2016 को इस पार्टी से छह वर्ष के लिए निकाल दिया गया था। इसलिए उनके द्वारा दो जनवरी 2017 को बुलाया गया पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन अवैध था। पार्टी के भीतर चल रही कलह में अखिलेश का साथ दे रहे रामगोपाल ने सपा महासचिव की हैसियत से यह बैठक बुलाई थी। संवाददाता सम्मेलन में अमर सिंह और शिवपाल भी मौजूद थे। मुलायम अपनी पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ पर दावा करने के लिए सोमवार को चुनाव आयोग जा सकते हैं।
चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए सोमवार तक का ही समय दिया है। जिसके बाद आयोग तय करेगा कि इन दोनों पर किस खेमे का दावा सही है। शनिवार को अखिलेश के खेमे ने चुनाव आयोग को हलफनामा सौंपा था जिसमें 90 फीसद विधायकों और प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर होने का दावा किया गया है। साथ ही 229 विधायकों में से 200 से अधिक विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री को शपथपत्र के जरिए समर्थन दिए जाने का भी दावा इसमें किया गया है। मुलायम के करीबी अमर सिंह ने कहा कि मुलायम खेमा सोमवार को चुनाव आयोग से संपर्क करेगा और अखिलेश खेमे की ओर से रामगोपाल यादव द्वारा सांैंपे गए दस्तावेजोंं की वास्तविकता पर सवाल किया जाएगा। अमर सिंह ने दावा किया कि अखिलेश के समर्थक विधायकों के हस्ताक्षरों का ‘कोई मूल्य’ नहीं है क्योंकि चार जनवरी को आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद वे वास्तव में विधायक नहीं रह गए हैं। उन्होंने कहा कि जिन प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं, उनमें से अधिकतर की नियुक्ति एक जनवरी के बाद हुई है। इस बीच रामगोपाल यादव ने सपा के दोनों खेमों के बीच किसी सुलह की संभावना से इनकार किया और कहा कि चार..छह लोगों ने नेताजी को गुमराह किया कि उन्हें 200 विधायकों का समर्थन हासिल है। उनके रूख का अब पर्दाफाश हो गया है। उन्होंने हालांकि कहा कि उस राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम को पार्टी का संरक्षक नियुक्त किया गया जिसमें अखिलेश को सपा का नया अध्यक्ष बनाया गया था।
इससे पहले मुलायम सिंह ने दिल्ली रवाना होने से पहले लखनऊ में अपने भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ पार्टी मुख्यालय पर पहुंचकर सपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। मुलायम सुबह कुछ देर के लिए शिवपाल के साथ पार्टी राज्य मुख्यालय पर पहुंचे और हाथ हिलाकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन स्वीकार किया। उन्होंने नारे लगा रहे कार्यकर्ताओं से कहा कि नारे लगाने के बजाय क्षेत्र में जाकर काम करें। लोहिया के आदर्शों को धूमिल नहीं होने दिया जाएगा। सपा और यादव परिवार में जारी खींचतान के बारे में पूछे जाने पर मुलायम ने कहा ‘हमारी पार्टी में कोई विवाद नहीं है।’ बाद में वह शिवपाल के साथ दिल्ली रवाना हुए। इस बीच, यह भी खबर आई कि मुलायम राज्य मुख्यालय स्थित अपने कमरे का ताला बंद कर गए। इस बारे में पूछे जाने पर सपा के प्रदेश अध्यक्ष (अखिलेश गुट) नरेश उत्तम ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया, मगर कहा कि दफ्तर से मुलायम और शिवपाल की नेम प्लेट कभी नहीं हटाई गई थीं। उन्होंने कहा ‘अखिलेश जी हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और हम उनके नाम पर ही चुनाव लड़ेंगे। उन्हें सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था।’
