उत्तर प्रदेश चुनाव में चंद्रशेखर से गठबंधन न करके क्या अखिलेश ने गलत किया? ABP CVoter के सर्वे में जो गणित सामने आया पूरा, उसके मुताबिक 42 फीसदी मानते हैं कि अखिलेश ने सही किया। 33 फीसदी को लगता है कि गलत किया तो 25 फीसदी मानते हैं कि कुछ नहीं कह सकते।
चंद्रशेखऱ को यूपी की राजनीति में दलित वर्ग का नेता माना जाता है। कई मौकों पर वो दलितों की आवाज उठाते देखे गए हैं। 2022 चुनाव में वो बड़ी भूमिका में आने के लिए कई दलों से बात कर रहे थे लेकिन उनकते हाथ मायूसी ही लगी है। अखिलेश ने भी उनसे किनारा करते हुए कहा है कि वो मदद करना चाहते हैं तो गठजोड़ के बाहर रहकर भी कर सकते हैं।
चंद्रशेखर का राजनीतिक जन्म अपने आप एक थ्रिलर कहानी है। 2017 में सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और सवर्णों के बीच हिंसा की एक घटना हुई। इस हिंसा के दौरान एक संगठन उभरकर सामने आया, जिसका नाम था भीम आर्मी। भीम आर्मी का ही संस्थापक और अध्यक्ष हैं चंद्रशेखर। उसने अपना उपनाम ‘रावण’ रखा हुआ है।
शब्बीरपुर में हुई हिंसा के बाद ‘रावण’ ने मई 2017 में सहारनपुर में महापंचायत बुलाई। इसके लिए पुलिस ने अनुमति नहीं दी। लेकिन भारी संख्या में लोग इसमें शामिल होने के लिए पहुंचे। उन्हें रोकने के दौरान पुलिस और भीम आर्मी के समर्थकों के बीच संघर्ष हुआ। इसके बाद चंद्रशेखर के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
हालांकि बाद में रासुका हटाते हुए उन्हें रिहा कर दिया गया। लेकिन उसके बाद से ही रावण बहुजन समाज पार्टी के विकल्प के तौर पर खुद को पेश कर रहा है। वो दलित हितों के लिए कई मंचों पर बात करता दिखा है। जेल से बाहर आने के बाद उसका राजनीतिक समर्थन काफी बढ़ा है। ओवैसी भी उनसे गठजोड़ करने के इच्छुक थे लेकिन बात नहीं बन सकी। रावण का कहना था कि वो बीजेपी को रोकने के लिए किसी से भी हाथ मिलाने को तैयार हैं। इसी वजह से वो अखिलेश के साथ गठजोड़ करने की इच्छा जता रहे थे। लेकिन मायूसी उनके हाथ लगी।