यूपी चुनाव के छठवें चरण का मतदान होने वाला है। इस बीच में देवरियां जिले का पथरदेवा विधानसभा क्षेत्र पर लड़ाई बड़ा ही दिलचस्‍प हो गई है। यहां पर दो दिग्‍गज नेताओं में कड़ी टक्‍कर बताई जा रही है। ब्राह्मण बनाम ब्राह्मण की जंग में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से प्रत्‍याशी सूर्य प्रताप शाही तो वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) से उम्‍मीदवार ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी मैदान में हैं।

यहां की चुनावी लड़ाई इस कारण भी दिलचस्‍प हो गई है, क्‍योंकि पहले भी ये दोनों दिग्‍गज कई बार आमने सामने आए हैं। कभी इस जंग में सूर्य प्रताप शाही ने बाजी मारी है तो वहीं कभी ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी ने इनको पटखनी दी है। लड़ाई इसलिए भी दिलचस्‍प हो गई है कि यहां की जनता का भी मानना है कि दोनों नेताओं में कांटे की टक्‍कर होगी। हालाकि इस सीट पर मतदान 3 मार्च को पूरा हो जाएगा और 10 मार्च को नतीजे भी सामने आ जाएंगे।

पहले भी आमने सामने हुए हैं दोनों दिग्‍गज
शाही और त्रिपाठी वर्ष 1985 से एक दूसरे को चुनावी चुनौती देते आए हैं। कसया सीट पर 1985 में शाही ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे त्रिपाठी को 559 वोटों से पराजित किया था। जिसके बाद त्रिपाठी ने 1989 में इस हार का बदला जनता दल पार्टी से उम्‍मीदवर बनकर भाजपा के शाही को हराकर पहली बार विधायक बने थे।

इसके बाद मध्‍यवधि चुनाव के दौरान 1991 में शाही ने फिर से त्रिपाठी को हराया था। इसके बाद 1993 में त्रिपाठी ने फिर शाही को हराया। इसके बाद उन्‍होंने 1996 में त्रिपाठी ने जनता दल का दामन छोड़कर सपा का दामन थाम लिया। इसके बाद उन्‍होंने 2002 और 2007 में शाही को फिर हराया था।

Also Read
UP Election: राजा भैया की गाड़ी साफ करते थे गुलशन यादव, सपा प्रत्याशी पर हमले के बाद क्‍या बोली कुंडा की जनता, जानें

क्‍या है पथरदेवा विधानसभा का समीकरण?
परिसीमन के बाद 2012 में पथरदेवा विधानसभा क्षेत्र बन गया। यहां से शाही भाजपा उम्‍मीदवार के रूप में उतरे और सपा से शाकिर अली ने चुनाव लड़ा। जिसमें शाकिर अली की जीत हुई। हालाकि इसके बाद फिर 2017 में शाही ने अली को हरा दिया। वहीं अब इस सीट पर 2022 में शाकिर अली की मौत के बाद उनके बेटे परवेज आलम बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाली पथरदेवा विधानसभा सीट पर कुल 3,35,755 मतदाता है।